गोंदिया के प्रभारी के रूप में करोड़ों की थी अवैध वसूली
गोंदिया : भंडारा के अन्न औषधि विभाग के औषधि निरीक्षक प्रशांत राजेंद्र रामटेके 46 वर्ष को 15000 की रिश्वत लेते हुए 13 जून मंगलवार की रात 11 बजे भंडारा एंटी करप्शन विभाग द्वारा रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रामटेके गोंदिया के प्रभारी औषधि निरीक्षक के रूप में रहते हुए करोड़ों रुपए की प्रतिवर्ष अवैध वसूली की थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार फरियादी भंडारा निवासी निजी चिकित्सक के भाई के पत्नी के नाम से कीर्ति मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में दवाई दुकान शुरू करने के लिए शिकायतकर्ता द्वारा अन्न व औषध प्रशासन भंडारा में आवेदन किया था। शिकायतकर्ता द्वारा दाखिल किये गए फार्मेसी के लाइसेंस के दस्तावेज में किसी भी प्रकार की खामी ना निकालते हुए उस को मंजूरी दी गई जिसके बदले में आरोपी औषधि निरीक्षक प्रशांत राजेंद्र रामटेके द्वारा फरियादी से 20000 के रिश्वत की मांग की थी।
किन्तु फरियादी द्वारा रिश्वत न देने की मंशा लेते हुए इस मामले की शिकायत 13 जून को भंडारा एंटी करप्शन विभाग में की एंटी करप्शन विभाग द्वारा उपरोक्त मामले की जांच कर आपसी समझौते के तहत पंचों के समक्ष मंगलवार 13 जून की रात 11:00 बजे के दौरान एक निजी चिकित्सालय में 15000 की रिश्वत लेते हुए भंडारा एंटी करप्शन द्वारा आरोपी रामटेके को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।आरोपी औषधि निरीक्षक प्रशांत राजेंद्र रामटेके के खिलाफ भंडारा पुलिस थाने भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
उपरोक्त कारवाई एंटी करप्शन विभाग के पोलिस अधीक्षक राहुल माकणीकर के मार्गदर्शन में पोलिस उपअधीक्षक डॉ. अरुणकुमार लोहार, पोलिस निरीक्षक अमित डहारे, संजय कुंजरकर, मिथुन चांदेवार, अतुल मेश्राम, पोलिस अंमलदार चेतन पोटे, मयूर शिंगणजुडे, विवेक रणदिवे, राजकुमार लेंडे, विष्णू वारठी, शिलपेंद्र मेश्राम, चालक राहुल राऊत ने की।
कोविड काल में दवाई विक्रेताओं को किया काफी परेशान
कोरोना महामारी में जब डॉक्टर वह दवाई विक्रेता लोगों की जान बचाने में जुटे हुए थे उस दौरान गोंदिया जिले के औषधि निरीक्षक के पद पर रहते हुए प्रशांत रामटेके द्वारा गोंदिया जिले के दवाई विक्रेताओ को काफी परेशान कर भारी पैमाने पर अवैध वसूली की थी जिससे पूरे गोंदिया जिले के थोक व चिल्लर दवाई विक्रेता इस औषधि निरीक्षक से काफी त्रस्त थे। उस दौरान भी प्रशांत रामटेके की अनेक शिकायतें वरिष्ठ अधिकारी स्तर पर की गई थी किंतु उस पर कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं की गई। जिससे संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों पर भी प्रश्नचिन्ह निर्माण हो रहा। तो क्या प्रशांत रामटेके द्वारा की जा रही अवैध वसूली का एक बड़ा हिस्सा वरिष्ठ अधिकारियों तक नियमित पहुंचाया जा रहा था जिसके चलते 4 वर्षों तक गोंदिया जिले के प्रभारी व भंडारा के निरीक्षक के पद पर रहते हुए किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होना यह साबित करता है।
मुंबई हो गया था तबादला
भंडारा के औषधि निरीक्षक प्रशांत रामटेके का गत कुछ दिनों पूर्व मुंबई मैं तबादला हो गया था तथा भंडारा कार्यालय से वह कार्यमुक्त हो गया होता तो उसे मुंबई मैं अपना चार्ज लेना होता किंतु मुंबई में अपना पद ग्रहण करने के पूर्व ही एंटी करप्शन विभाग की कार्यवाही में रंगे हाथों गिरफ्तार हो गया।