गोंदिया. आदिवासी गोंड गोवारी जमात संवैधानिक अधिकार संघर्ष कृति समिति के नेतृत्व में जिले के गोंड, आदिवासी गोवारी भाइयों ने विभिन्न मांगों को लेकर 20 सितंबर को जिलाधीश कार्यालय पर मोर्चा निकाला. इस अवसर पर जिलाधीश प्रजीत नायर के माध्यम से मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को मांगों का ज्ञापन भेजा गया.
गोंड गोवारी जमात अध्ययन समिति को न्यायमूर्ति के. एल. वडने ने द्वारा दी गई दो माह की समय सीमा रद्द की जाए. इसके स्थान पर सात दिन की मोहलत दी जाए और समय सीमा के अंदर उनकी सकारात्मक जांच रिपोर्ट मिल जाए. 24 अप्रैल 1985 के सरकारी फैसले में गोंड, गोवारी जनजातियों के संबंध में दी गई जानकारी को सही किया जाए और उन्हें अनुसूचित जनजातियों के सभी लाभ बहाल किए जाएं. प्रमाणपत्र सत्यापन समिति को ज्ञात है कि 1950 से पहले राज्य में गोंड गोवारी जाति का कोई राजस्व साक्ष्य उपलब्ध नहीं है. इसके बावजूद गढ़चिरोली जिले की समिति ने 1950 से पहले के मूल राजस्व दस्तावेजों की फोटोकॉपी के साथ छेड़छाड़ की और गोवारी गोवारा के बजाय गोंड गोवारी जनजाति को मैन्युअल रूप से दर्ज किया और उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र दिया. इस दौरान मांग की गई कि इस प्रकार का कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अविलंब मुकदमा दर्ज किया जाए. इस बीच शहर में प्रशासनिक भवन से लेकर जिलाधीश कार्यालय तक मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे में बड़ी संख्या में जिले के गोवारी समाज के नागरिक उपस्थित थे. मोर्चा जिलाधीश कार्यालय के समक्ष सभा में तब्दील हो गया. इसके बाद जिलाधीश प्रजीत नायर के माध्यम से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को ज्ञापन भेजा गया.
गोंड-गोवारी समाज का जिलाधीश कार्यालय पर मोर्चा
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