गोंदिया : जिले में मौसम में प्रतिदिन हो रहे बदलाव के बावजूद तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है एवं दोपहर के समय गर्म हवाओं के थपेड़े अब आम नागरिकों को हलाकान कर रहे हैं। लू लगने की स्थिति में समय पर उपचार न होने पर मृत्यु भी संभव है। जिसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जिले के नागरिकों से सतर्क रहने एवं आवश्यक सावधानियां बरतने का अाह्वान किया है। अप्रैल माह से तापमान बढ़ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि ग्रीष्म लहर यह एक मुक आपत्ति है। यदि किसी प्रदेश में अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा अथवा लगतार 3 दिन तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा तो उस क्षेत्र में ग्रीष्म लहर चल रही है ऐसा समझना चाहिए। गर्मी के दिनों में बचाव के लिए सामान्य नागरिकों को क्या करना चाहिए? और क्या नहीं? इस संबंध में भी स्वास्थ्य विभाग ने सूचना दी है। विभाग ने कहा है कि 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों एवं 65 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं, धूम्रपान, मद्यपान, अधिक चाय अथवा कॉफी पीने वाले लोगों, डायबिटीज एवं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को लू लगने की संभावना अधिक होती है। इसलिए सतर्कता बरतते हुए सावधान रहना आवश्यक है।
बचाव के लिए करें यह उपाय
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी की गई सूचना में कहा गया है कि गर्मी के मौसम में लू से बचाव के लिए प्यास न लगने पर भी अधिक से अधिक पानी पिएं। हल्के-पतले एवं सूती कपड़े पहने। घर से बाहर निकलते समय गॉगल, छतरी, टोपी, चप्पल का उपयोग करें एवं यात्रा के दौरान पानी की बोतल हमेशा साथ रखें। धूप में काम कर रहे लोगों को सिर पर टोपी लगाने के साथ ही गीले कपड़े से सिर, गर्दन एवं चेहरा ढंककर रखना चाहिए। शरीर में पानी का प्रमाण कम होने पर ओआरएस, घर मंे बनाई जाने वाली लस्सी, नींबू पानी का नियमित उपयोग करें। कमजोरी लगने, सिर दर्द, बार-बार पसीना आने एवं चक्कर आने की स्थिति मंे तत्काल डाक्टर की सलाह ले। घर में ठंडक रखने के लिए परदों एवं सनशेड का इस्तेमाल करें। रात में खिड़कियां खुली रखें। ठंडे पानी से स्नान करें।
यह न करें
छोटे बच्चों अथवा पालतु प्राणियों को बंद स्थानों पर अथवा पार्क किए गए वाहनों में न रखे। दोपहर 12 से 3.30 बजे तक बाहर धूप में जाना टालें। मोटे कपड़े पहनने से बचे। बाहर तापमान अधिक रहने पर शारीरिक श्रम वाले काम काे टालें।
उष्माघात के कारण
धूप में शारीरिक श्रम अथवा मजदूरी के काम अधिक समय तक करना, कारखानों में बायलर रूम में एवं कांच के कारखाने में काम करना, अधिक तापमान वाले कमरों में काम करना, मोटे कपड़ों का उपयोग करना अथवा लगातार धूप में रहने से उष्माघात हो सकता है।
उष्माघात के लक्षण
शरीर से लगातार पसीना निकलना, बार-बार प्यास लगना, शरीर शुष्क होना, थकान आना, 102 डिग्री से अधिक बुखार, त्वचा सूखना, भूख न लगना, चक्कर आना, सिर दर्द होना, मानसिक बेचैनी, उल्टी होना एवं आंखों के सामने अंधेरा छाना यही उष्माघात के लक्षण है।