20 माह से वेतन के बिना एंबुलेंस चालक : दूसरी दिवाली भी रहेगी अंधेरे में
गोंदिया. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिले के सभी प्राथमिक केंद्रों पर एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है. पिछले कई वर्षों से इन एंबुलेंस के लिए ड्राइवर की व्यवस्था एक ठेका कंपनी के माध्यम से की जाती रही है. लेकिन पिछले 20 माह से एंबुलेंस चालक की अनुबंध कंपनी का समाधान नहीं हो सका है. ऐसे में एंबुलेंस चालक 20 माह से बिना वेतन के सेवाएं दे रहे हैं. चालकों की दिवाली भी अंधेरे में गई. जिला शल्य चिकित्सक ने दो दिन का समय मांगा था. लेकिन इसको अभी 10 दिन हो गए है. इसलिए दूसरी दिवाली भी अंधेरे में जाने का डर वाहन चालकों को सता रहा है.
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एंबुलेंस एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गई हैं. जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पताल में एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है. इसमें 102 नंबर सेवा भी शामिल है. इस नंबर पर संपर्क करने वाली गर्भवती माताओं को एंबुलेंस सेवा प्रदान की जाती है. इतना ही नहीं इसी एंबुलेंस से अन्य मरीजों को भी ले जाया जाता है. कई वर्षों से एंबुलेंस चालकों की ड्यूटी का नियोजन ठेका कंपनी के माध्यम से किया जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ माह से ठेका कंपनी की नियुक्ति नहीं की गई है. वहीं एंबुलेंस चालकों की सेवा बहाल रखी गई है. महामारी के दौरान भी एंबुलेंस चालकों ने जान की परवाह किए बिना सेवा प्रदान की. एंबुलेंस चालक अल्प वेतन पर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. लेकिन पिछले 20 माह से जिले में ही संविदा एंबुलेंस चालकों को वेतन का भुगतान नहीं हो सका है. दरअसल स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. दिवाली जैसे त्योहार अंधेरे में गए हैं. लेकिन एंबुलेंस चालक आज या कल भुगतान मिलने की उम्मीद में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लगातार 20 माह से वेतन नहीं मिलने से एंबुलेंस चालकों के सामने परिवार के भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है. जिला शल्य चिकित्सक ने दो दिन में पारिश्रमिक भुगतान करने का वादा किया था. लेकिन अब तक भुगतान नहीं किया गया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार की दिवाली भी अंधेरे में जाएंगी.
दिन-रात देते है सेवा
एंबुलेंस चालक जिले के स्वास्थ्य केंद्रो व ग्रामीण अस्पतालों में दिन-रात सेवाएं दे रहे हैं. एंबुलेंस चालक पिछले 15 वर्षों से अल्प वेतन पर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. लेकिन पिछले 20 माह से एंबुलेंस चालकों को वेतन नहीं दिया गया है. एक तरफ बकाया का भुगतान नहीं किया जा रहा है. दूसरी ओर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर माह अनुबंध पर हस्ताक्षर करने को कह रहे हैं. जिससे वाहन चालकों के सामने संकट खड़ा हो गया है.