पुरुष परिवार नियोजन शल्यक्रिया के प्रति उदासीन
गोंदिया. संतान और परिवार नियंत्रण के लिए पुरुष नसबंदी शल्यक्रिया सामने आई है. इस विधि में बिना किसी चीरे के सिर्फ 5 से 10 मिनट में पुरुषों की बिन टाके की शल्यक्रिया की जाती है. लेकिन पिछले पांच वर्षों में प्राप्त आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि जिले में महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी के प्रति उदासीन हैं. पिछले पांच साल में सिर्फ 5 हजार 270 पुरुषों ने ही परिवार नियोजन शल्यक्रिया कराई है.
परिवार नियोजन में भागीदारी, अब पुरुषों को भी भाग लेने की अनुमति, यह नारा स्पष्ट रूप से परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता पैदा करने की ओर इशारा करता है. लेकिन पुरुष अब तक उदासीन बने हुए हैं. परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं की तुलना में कम है. पुरुष नसबंदी के लिए सरकार प्रोत्साहन राशि भी देती है. लेकिन जनजागरूकता की कमी के कारण जिले में नागरिक नसबंदी के लिए आगे नहीं आते हैं. समाज में पुरुष नसबंदी को लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिनमें प्रमुख है कि पुरुष नसबंदी के बाद व्यक्ति नपुंसक हो जाता है. लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है. अब पुरुष नसबंदी का एक आसान और बिना टाके की शल्यक्रिया आ गई है. किसी चीरे की जरूरत नहीं है. महिलाओं की तरह पुरुषों को भी नसबंदी के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग को भी इसके लिए काफी जागरूकता लाने की जरूरत है. पिछले पांच वर्षों में पुरुषों और महिलाओं के परिवार नियोजन शल्यक्रिया के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी की दर बहुत कम है. 2018-19 से 2023-23 की अवधि के दौरान 5270 पुरुषों ने नसबंदी कराई. इसी अवधि के दौरान 31895 महिलाओं ने परिवार नियोजन शल्यक्रिया कराई है.
आसान और सुरक्षित विकल्प
गर्भनिरोधक, तांबा, गर्भनिरोधक गोलियां, पुरुष नसबंदी, महिला परिवार नियोजन शल्यक्रिया के साथ-साथ महिलाओं को जन्म नियंत्रण का एक और आसान व सुरक्षित विकल्प मिल गया है. बिना शल्यक्रिया के अनचाहे गर्भ के लिए सरकारी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंतरा इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध है.
डा. नितीन वानखेडे, जिला स्वास्थ्य अधिकारी