खतरे में है नदी का अस्तित्व : केंद्र व राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार
गोंदिया. स्थानीय प्रशासन व सरकार की उपेक्षा नीति के कारण पांगोली नदी नाला बन गई है. इस नदी के पुनरुद्धार की मांग कई वर्षों से की जा रही है. इसी क्रम में पिछले साल जल पुनरुद्धार विभाग ने इस नदी को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया और नदी के करीब 75 किलोमीटर हिस्से को दो मीटर तक गहरा करने की योजना बनाई गई. इस बीच डीपीआर तैयार कर केंद्र व राज्य सरकार को धनराशि की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया गया. लेकिन अभी भी पांगोली के पुनरुद्धार के लिए कोई मंजूरी नहीं दी गई है. इसलिए जिले की जीवनदायिनी पांगोली का अस्तित्व अब खतरे में है और जिले के लोग सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
पांगोली नदी गोरेगांव तहसील के तेढ़ा गांव से निकलती है. यह नदी गोरेगांव, आमगांव और गोंदिया तहसील से होकर बहती है और गोंदिया तहसील के छिपिया क्षेत्र से बहती हुई बाघ नदी में मिल जाती है. इस नदी पर 59 बांध बनाए गए हैं, लेकिन उचित रखरखाव के अभाव में पांगोली नदी समतल हो गई है. परिणामस्वरूप, थोड़ी सी बारिश से नदी में बाढ़ आ जाती है और बाढ़ का पानी नदी के किनारे स्थित गांवों और खेतों में घुस जाता है. लेकिन जैसे ही मानसून समाप्त होता है, नदी सूख जाती है. वर्षा ऋतु समाप्त हो गई. लेकिन कुछ स्थानों को छोड़कर पांगोली नदी में पानी उपलब्ध नहीं है. नदी के कुछ हिस्सों में कोल्हापुरी बांधों के निर्माण से उन हिस्सों में कृषि के लिए सिंचाई की सुविधा मिल रही है. लेकिन नदी के समतल होने और उसके नाले में तब्दील होने से पांगोली नदी का अस्तित्व खतरे में है. इस मुद्दे पर पांगोली नदी बचाव संघर्ष समिति और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से पांगोली नदी को बचाने की मांग की है. इस पर जल संरक्षण विभाग ने नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार को रिपोर्ट भी सौंपी थी. इसके अनुसार जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पिछले साल अक्टूबर महीने में नदी के पुनरुद्धार के लिए डीपीआर तैयार करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए थे. इसके लिए जिला योजना समिति के माध्यम से 10 लाख रु. की धनराशि भी स्वीकृत की गई. तदनुसार एक कंपनी नियुक्त की गई और उक्त कंपनी को डीपीआर बनाने के लिए टेंडर दिया गया. डीपीआर के आधार पर ऐसा प्रस्ताव केंद्र और राज्य सरकार को भी भेजा गया था. लेकिन अभी तक इसे केंद्र और राज्य सरकार से मंजूरी नहीं मिली है.
संबंधित विभाग गंभीर नहीं
ऐसा प्रतीत होता है कि जहां जिला प्रशासन विशेषकर संबंधित विभाग पांगोली के पुनरुद्धार को लेकर गंभीर नहीं है, वहीं जिले के स्थानीय जन प्रतिनिधि भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. इसलिए नदी के पुनर्जीवन का काम रुक गया है. अगर इस नदी को गहरा कर दिया जाए तो इससे जिले के किसानों को फायदा होगा. जिले के किसान और नागरिक न्याय का इंतजार कर रहे हैं.
तीर्थराज उके, संयोजक, पांगोली बचाओ अभियान कृति समिति, गोंदिया
निर्देशानुसार सर्वेक्षण करें
नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन के निर्देशानुसार पांगोली नदी का सर्वेक्षण किया गया था. रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी गई. डीपीआर में कुछ त्रुटियां पाई गई हैं. लेकिन अब सरकार के निर्णय के अनुसार यह मामला जल संरक्षण विभाग से जल संसाधन विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया है. इसलिए अब संबंधित विभाग को नया प्रस्ताव देना होगा.
अनंत जगताप, जल संरक्षण अधिकारी, गोंदिया