20 माह बाद मिला वेतन : 3 लाख 54 हजार रु. जमा
गोंदिया. जिले के प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान में रोगी देखभाल के लिए आवश्यक सेवा के रूप में ‘102’ प्रणाली के तहत एम्बुलेंस प्रदान की गईं. उन एम्बुलेंसों को चलाने के लिए 2006-07 से वेतन के आधार पर चालकों की नियुक्ति की जा रही है. लेकिन उन चालकों को अप्रैल 2022 से अब तक भुगतान नहीं किया गया है. सीईओ, डीएचओ, सीएस के चक्कर लगा-लगाकर थकने के बाद विधायक विनोद अग्रवाल सीधे सचिवालय पहुंचने के बाद 8 नवंबर को 67 चालकों के खाते में 19 माह का वेतन जमा हो गया. इसलिए इन चालकों की दूसरी दिवाली मंगलमय होने वाली है.
जमीनी स्तर के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. उस पर करोड़ों रु. भी खर्च किए जा रहे हैं. पहले मरीजों को अपने उपकरण लेकर अस्पताल आना पड़ता था. लेकिन समय के साथ सरकार ने मरीजों को अस्पताल तक लाने और उनकी देखभाल करने और घर वापस लाने के साधन उपलब्ध कराए हैं. जिले में 67 वाहन चालकों की नियुक्ति की गई है. इसके बाद तत्कालीन जिला परिषद स्वास्थ्य समिति सभापति विनोद अग्रवाल ने दैनिक व्यवस्था बंद कर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत रोगी कल्याण समिति के माध्यम से उनकी नियुक्ति कर दी. उस समय उन्हें नियमित वेतन और पारिश्रमिक में वार्षिक वृद्धि मिलती थी. लेकिन चालकों को बिना कोई जानकारी दिए भोपाल की एक कंपनी को चालक उपलब्ध कराने का ठेका दे दिया गया. कंपनी ने उन्हीं चालकों को 11 महीने के अनुबंध पर भी नियुक्त किया. एक साल बाद कंपनी ने दोबारा ठेका नहीं लिया. अब वह ठेका चंद्रपुर जिले की संत मीराबाई संस्था को दिया जाना था. लेकिन चालकों ने उस संगठन के साथ काम करने से इनकार कर दिया. अब 16 माह से अधिक समय बीत चुका है. 67 चालक बिना अनुबंध और बिना वेतन के काम कर रहे हैं. ये कर्मचारी 24 घंटे काम करते हुए लॉगबुक भी भर रहे हैं और हाजिरी भी लगा रहे हैं. पिछले साल चालकों ने वेतन और वेतन बढ़ोतरी के लिए 27 दिनों तक आंदोलन भी किया था. विधायक विनोद अग्रवाल के हस्तक्षेप के बाद आंदोलन वापस लिया गया. उन कर्मचारियों ने अपने हक के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया. उल्लेखनीय है कि इन कर्मचारियों को महज 8 हजार रु. वेतन दिया जा रहा है. इसके विपरीत चालकों का कहना है कि उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत अन्य जिलों में 21 हजार से अधिक वेतन मिल रहा है. कंपनी छोड़ने के बाद भोपाल में 21760 रु. की दर से 15 दिन का वेतन दिया. इसलिए कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि अब तक उन्हें लूटा गया है. लगभग 20 महीने से बिना वेतन के काम कर रहे चालकों ने जिला परिषद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला सर्जन से गुहार लगाई. इसके बाद उन्होंने विधायक विनोद अग्रवाल से मुलाकात की. विधायकों ने सचिवालय स्तर पर फॉलोअप किया. इसका प्रभाव सकारात्मक हुआ. दिवाली से तीन दिन पहले आखिरकार उन 67 चालकों को न्याय मिल ही गया. आज सभी के खाते में 3 लाख 54 हजार 930 रु. जमा होने से कम से कम उधारी खत्म होने के बाद उन परिवारों की दिवाली तो मंगलमय होगी.
लड़ाई जारी रहेगी
हम पिछले कई वर्षों से दैनिक आधार पर काम कर रहे हैं. 24 घंटे हम मरीजों और प्रशासन की सेवा कर रहे हैं. लेकिन हमें न्याय नहीं मिल रहा है. विधायक विनोद अग्रवाल के लगातार सहयोग से हमारा परिवार दो साल बाद दिवाली मना सकेगा. हमारे बच्चों को नए कपड़े मिल सकेंगे और मिठाइयां खा सकेंगे. लेकिन हमें हर 11 महीने में आरोग्य अभियान से अनुबंध चाहिए. हर 6 महीने में वेतन बढ़ोतरी और हर महीने ग्रेच्युटी के लिए लड़ाई जारी रहेगी.
शेखर चंद्रिकापुरे, अध्यक्ष, चालक संगठना
इसका सारा श्रेय विधायक अग्रवाल को
पहले से ही 7000 सैलरी. वह भी अधिकारियों की मनमानी के कारण पिछले 20 माह से नहीं मिला है. जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. ऐसी स्थिति में भी चालकों ने अथक परिश्रम किया. लेकिन स्वास्थ्य विभाग वेतन देने में आनाकानी कर रहा था. चालकों की आर्थिक स्थिति को समझने के बाद विधायक विनोद अग्रवाल ने सीधे स्वास्थ्य सह संचालक से संपर्क किया और वेतन का मुद्दा उठाया. इसलिए चालकों का कहना है कि वे इस वेतन का सारा श्रेय विधायक विनोद अग्रवाल को दे रहे हैं.