संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति की अनदेखी
गोंदिया. नवेगांवबांध राष्ट्रीय उद्यान जो जिले के साथ-साथ विदर्भ में भी प्रसिद्ध है, पर्यटकों को आकर्षित करता है. पर्यटन स्थल में नौकायन के लिए पर्यटक स्थल और जलाशय को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक आते हैं. लेकिन पिछले साल से बोटिंग बंद है. जिससे यहां आने वाले यात्रियों को निराशा होना पड़ रहा है. संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही है और लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
अर्जुनी मोरगांव तहसील एक वन समृद्ध तहसील है. नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व और नवेगांवबांध राष्ट्रीय उद्यान इसी स्थान पर स्थित हैं. इस वजह से विदर्भ से हजारों पर्यटक यहां आते हैं. राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधन के लिए एक संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति का गठन किया गया है. लेकिन उक्त समिति की लापरवाही के कारण नवेगांवबांध पर्यटन स्थल की प्रसिद्धि लुप्त होती जा रही है. पर्यटक स्थल पर आने वाले पर्यटक जलाशय को देखने के साथ-साथ नौकायन का भी आनंद लेते हैं. लेकिन पिछले कई महीनों से इस जगह पर बोटिंग बंद है. नौकायन का प्रबंधन संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति द्वारा किया जाता है. लेकिन नवंबर 2022 से यह समिति ठीक से काम नहीं कर रही है और इसका असर पर्यटन पर पड़ रहा है. समिति के सचिव जानबूझकर इसकी अनदेखी कर रहे हैं. पिछले एक साल से नौकायन बंद है, जिससे राजस्व और रोजगार दोनों में गिरावट आई है. उल्लेखनीय है कि बोटिंग से समिति को करीब डेढ़ लाख रु. का राजस्व प्राप्त हुआ. संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति की निष्क्रियता के कारण नवेगांवबांध में पर्यटन में गिरावट आई है. रोजगार की भी समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके बावजूद पर्यटक और ग्रामीण कह रहे हैं कि समिति और वन विभाग इस गंभीर मामले को लेकर संवेदनशील नहीं है. पर्यटक और नवेगांवबांध के निवासी मांग कर रहे हैं कि वरिष्ठजन इस ओर ध्यान दें और समिति के मनर्जी कारभार पर लगाम लगाएं.
उद्यान विनाश के कगार पर
राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा होने के बावजूद नवेगांवबांध पार्क का उतना विकास नहीं हो पाया है जितना होना चाहिए. पर्यटन प्रेमियों की शिकायत है कि संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति द्वारा योजना की कमी इसका कारण है. समिति की उचित देखरेख और प्रबंधन के अभाव के कारण, नवेगांवबांध पर्यटन परिसर में उद्यान खराब स्थिति में हैं और विनाश के कगार पर हैं.