Sunday, September 8, 2024
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एनएच-543 : कम भुगतान से किसान नाराज

दलालों की संख्या में वृद्धि : भुगतान में वृद्धि का आश्वासन
गोंदिया. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 543 के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पिछले दो माह से चल रही है. लेकिन बहुत कम भुगदान दिया जा रहा है. इसलिए किसान चिंतित हैं. नागपुर और जलगांव के कुछ दलाल इस क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं और कह रहे हैं कि उन्हें बढ़ा हुआ भुगतान मिलेगा.
गोंदिया-बालाघाट-सिवनी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 543 को चौगुना करने के कार्य के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है और यह प्रक्रिया पिछले दो माह से चल रही है. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 543 पर गोंदिया तहसील के नागरा, आंभोरा, सावरी, रावणवाड़ी, मुरपार, छोटा रजेगांव, जिरुटोला, सातोना, कोरनी, धामनगांव आदि गांव प्रभावित हैं. किसानों का आरोप है कि सक्षम अधिकारी द्वारा प्रति एकड़ तीन से पांच लाख रु. मुआवजा दिया गया है. इस रोड पर जमीन की कीमत 75 लाख से 1.25 करोड़ रु. प्रति एकड़ से ज्यादा है और किसानों का कहना है कि इतनी कम कीमत देकर उनके साथ धोखा किया जा रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के अनुसार यदि किसानों को कम भुगतान किया गया है, तो वे मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए मध्यस्थ के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं. गोंदिया जिलाधीश कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार गोंदिया में अब तक केवल 30 से 35 किसानों ने ही मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए वकील के माध्यम से अपना दावा प्रस्तुत किया है. मुआवजे को लेकर किसान बाहरी दलालों के जाल में फंस रहे हैं. किसानों को उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है और जब वे मुआवजे के लिए दावा करते हैं, तो यह बात सामने आई है कि जलगांव और नागपुर के दलालों ने मुआवजे के नाम पर उनके आधार कार्ड पर हस्ताक्षर किए हैं. आमगांव व देवरी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 543 के लिए भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया है, जिसके लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रति एकड़ लगभग 35 से 50 लाख रु. का मुआवजा दिया गया है. लेकिन आमगांव से देवरी रोड पर कृषि की दरें गोंदिया से बालाघाट रोड की तुलना में कम थीं, लेकिन भुगतान अधिक था. लेकिन गोंदिया तहसील में ऊंची दर के बावजूद उनका कहना है कि कम मुआवजा देकर उनकी जमीन हड़पने की कोशिश की जा रही है. इस मामले में केंद्र सरकार की क्या भूमिका है? इस पर नजर टिकी हुई है.

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