Monday, October 13, 2025
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संघ का शताब्दी वर्ष साधना, सेवा और समर्पण का प्रतीक : भारत भूषण

गोंदिया नगर संघ शाखा का विजयादशमी एवं शस्त्रपूजन उत्सव संपन्न

गोंदिया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि साधना, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। हम शताब्दी मनाने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रकार्य को पूर्ण करने के लिए एकत्रित हुए हैं। तन, मन और धन से समर्पित होकर भारत माता को पुनः विश्वगुरु के स्थान पर प्रतिष्ठित करना हमारा संकल्प है। संघ शाखा व्यक्तिनिर्माण की प्रयोगशाला है, जहाँ आने वाला प्रत्येक स्वयंसेवक राष्ट्रसेवा का संकल्प लेता है — ऐसा उद्गार संघ के अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख भारत भूषण अरोड़ा ने व्यक्त किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोंदिया नगर की ओर से विजयादशमी एवं शस्त्रपूजन उत्सव का आयोजन 12 अक्टूबर को इंदिरा गांधी स्टेडियम में किया गया था। कार्यक्रम में भारत भूषण अरोड़ा प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे। मुख्य अतिथि के रूप में स्टाफ क्लाउड प्रा. लि. के संस्थापक शैलेश अग्रवाल उपस्थित थे। मंच पर विभाग संघचालक दलजीतसिंह खालसा तथा नगर संघचालक मिलिंद अलोणी विराजमान थे।

भारत भूषण अरोड़ा ने आगे कहा कि डॉ. हेडगेवार ने छोटे बच्चों को एकत्र कर उन्हें व्यायाम, खेल और राष्ट्रीय चिंतन के माध्यम से संस्कारित किया। इन स्वयंसेवकों ने समाज को संगठित किया और उसी संगठनशक्ति का परिणाम है कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण संभव हुआ।
उन्होंने कहा — “आपके पास समय है, तो हमारे पास काम है; और आपके पास काम है तो हमारे पास स्वयंसेवक हैं।” संघ का कार्य समाज के प्रत्येक घटक को जोड़ने का माध्यम है। अभाविप, विज्ञान भारती, मज़दूर संघ, किसान संघ जैसी अनेक संगठनों के माध्यम से संघ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। वर्तमान में 83,000 दैनिक शाखाएँ, 32,000 साप्ताहिक शाखाएँ और अनेक मासिक शाखाओं के माध्यम से संघ कार्य सक्रिय रूप से चल रहा है।

राष्ट्रनिर्माण के लिए उन्होंने पाँच प्रमुख सूत्र बताए —
भेदभाव मिटाकर समरसता निर्माण, पर्यावरण संरक्षण,कुटुंब प्रबोधन (परिवार में संवाद व संस्कार), स्वदेशी का स्वीकार और
नागरिक कर्तव्यों का पालन।
उन्होंने कहा कि मंदिर, श्मशान या कुएँ जैसे स्थानों पर किसी भी प्रकार का सामाजिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। पृथ्वी की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है; जितना उपभोग कम करेंगे, उतना ही आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रहेंगी।
परिवार में संस्कार की परंपरा पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने “डिस्कनेक्ट टू कनेक्ट” का मंत्र दिया — यानी कुछ समय मोबाइल से दूर रहकर परिवार से जुड़ें। स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी चमक-दमक छोड़कर भारतीय उत्पादों को अपनाना ही सच्चा राष्ट्रधर्म है। मातृभाषा, भारतीय खानपान और परंपरा हमारी अस्मिता हैं, और भाषा, भजन व भ्रमण के माध्यम से भारत को जोड़ना ही असली संस्कृति है।

मुख्य अतिथि शैलेश अग्रवाल ने कहा कि लोकतंत्र को सुरक्षित रखना हर पीढ़ी की जिम्मेदारी है। भारत की जनसंख्या हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि उचित प्रबंधन से यही सबसे बड़ी शक्ति बन सकती है। शिक्षा प्रणाली में सुधार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग से भारत को ज्ञान-समृद्ध बनाने का उन्होंने आवाहन किया तथा समाज सुधार में स्वयंसेवकों के निःस्वार्थ योगदान की सराहना की।

कार्यक्रम की शुरुआत शस्त्रपूजन से हुई, जिसके बाद स्वयंसेवकों ने आसन, दंड और योग जैसी प्रात्यक्षिक प्रस्तुतियाँ दीं। नगर कार्यवाह शरद काथरानी ने प्रस्तावना में बताया कि शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विजयादशमी उत्सव, गृहसंपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन, सद्भावना बैठक, युवा सम्मेलन और “अधिकाधिक शाखा सप्ताह” जैसे अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गोंदिया नगर की 24 बस्तियों में 16 दैनिक और 9 साप्ताहिक शाखाएँ सक्रिय हैं। संचालन और आभार प्रदर्शन भी श्री काथरानी ने किया।
कार्यक्रम में अनेक गणमान्य नागरिक, मातृशक्ति, विद्यार्थी और बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थे।

पथसंचलन में दिखी अनुशासन और राष्ट्रभावना की झलक

कार्यक्रम से पूर्व स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में शहर के प्रमुख मार्गों से अनुशासित पथसंचलन किया। स्वयंसेवकों ने एकता और राष्ट्रभावना का प्रभावी प्रदर्शन किया। पथसंचलन के दौरान नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया और राष्ट्र के प्रति अपनी भावना व्यक्त की।

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