गोंदिया. एसीबी की टीम ने 10 माह में 12 कार्रवाई की है. जिसमें 17 रिश्वतखोरों को जेल भेजा गया है. इन मामलों की जांच चल रही है और उनपर न्यायालय कार्रवाई की जाएंगी.
सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ प्राइवेट लोग भी रिश्वतखोरी में आगे नजर आ रहे हैं. कई कर्मचारियों ने वसूली के लिए निजी लोगों को काम पर रखा है. रिश्वत निरोधक विभाग ने ऐसे 12 ऑपरेशनों में से 17 रिश्वतखोरों के खिलाफ कार्रवाई की है. इन सभी को सरकारी सेवा से निलंबित कर दिया जाता है. जमानत पर रिहा होने के कुछ दिन बाद ही इन रिश्वतखोरों का निलंबन रद्द कर दिया जाता है और ये फिर से सेवा में शामिल हो जाते हैं. एसीबी द्वारा कार्रवाई करने के बाद गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ दोषाराप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है. यह चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश की जाती है. एसीबी के मामलों में काफी समय लगता है. क्योंकि इन मामलों में सरकारी पंच होते हैं, इसलिए दोषी होने के प्रमाण अधिक होते है. हालांकि फैसले की अवधि लंबी होने के कारण ऐसे आरोपों वाले अधिकारी और कर्मचारी लंबे समय से सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. इसलिए एसीबी की कार्रवाई के बाद भी भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है. एसीबी ट्रॅप से बाहर आने के बाद भी कुछ लोग रिश्वतखोरी फिर से शुरू करते नजर आ रहे हैं. इसे रोकने की जरूरत है. रिश्वतखोरों पर सख्त कार्रवाई के लिए शिकायतकर्ताओं की सख्ती जरूरी है. ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कुछ शिकायतकर्ता प्रलोभन का शिकार हो जाते हैं और अपनी शिकायतें वापस ले लेते हैं. इस तरह की चीज को रोकने की जरूरत है.
किस विभाग में कितनी कार्रवाई
राजस्व 4, पंचायत विभाग (सरपंच) 10, कृषि विभाग 9, शिक्षा विभाग 4, नगर परिषद 1, इस प्रकार एसीबी ने पिछले दस माह में 12 कार्रवाई में 17 रिश्वतखोरों के खिलाफ कार्रवाई की.