145 कर्मचारियों पर 425 कर्मियों का काम : बीजीडब्ल्यू, केटीएस अस्पताल का मामला
गोंदिया. शासकीय मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत केटीएस अस्पताल और बाई गंगाबाई अस्पताल संचालित हैं. जबकि अधिपरिचारिका और परिचारकों के 425 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 145 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है. ऐसे में 45 मरीजों की देखभाल के लिए सिर्फ एक स्टाफ ही काम कर रहा है.
यह अनुमान लगाया गया था कि गोंदिया में सरकारी मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद गोंदिया शहर मेडिकल हब बन जाएगा. माना जा रहा था कि सरकारी अस्पतालों में अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जिससे निजी अस्पतालों में मरीजों की लूट बंद हो जाएंगी और मेडिकल कॉलेजों के अधीन सरकारी अस्पतालों में सस्ते में इलाज हो जाएंगा. लेकिन अस्पताल खुलने के पांच साल बीत जाने के बाद भी सुविधाओं की कमी खत्म नहीं हुई है. शासकीय मेडिकल कॉलेज में 510 बेड उपलब्ध हैं. इस अस्पताल में गोंदिया, भंडारा और गढ़चिरोली जिलों के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जिलों के मरीज भी इलाज के लिए आ रहे हैं. क्योंकि यह एक सरकारी मेडिकल कॉलेज है, इसलिए गरीब मरीज अच्छी सुविधाओं की उम्मीद में यहां इलाज के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही है. 510 बेड वाले इस अस्पताल में अधिपरिचारिका के 375 और परिचारकों के 50 पद स्वीकृत हैं. इनमें अधिपरिचारिका के 129 और परिचारकों के 16 पद भरे गए हैं. इनमें से 74 अधिपरिचारिका केटीएस अस्पताल में कार्यरत हैं, जबकि 45 कर्मचारी बाई गंगाबाई अस्पताल में कार्यरत हैं. जिससे मरीजों की सेवा करने में कर्मचारियों को परेशानी हो रही हैं. एक स्टाफ को 45 मरीजों का भार संभालना पड़ता है. दिन-रात काम करते-करते कर्मचारियों की मानसिकता भी खराब होने लगी है.
अस्पताल में सिर्फ बेड मुफ्त
अस्पताल में एक्स-रे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन मशीनें कब बंद होंगी, यह बताया नहीं जा सकता. आम तौर पर सलाह दी जाती है कि बाहरी लैब से जांच करें. दवाओं का भी यही हाल है. हर बार मरीजों को यही जवाब दिया जाता है कि दवा का स्टॉक नहीं है. दवाएं बाहर से लाने को कहा जाता है. यहां मात्र एक बेड मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है. तो क्या यह अस्पताल मरीजों को मरने देने के लिए बनाया गया था? ऐसी शंकाएं निर्माण हो रही है.






