गोंदिया. इस धरती के मूलवासियों का अस्तित्व मिटाने की कोशिश जारी है,ऐसे विचार i एड.लालसु नगोटी ने अनेक घटनाओं का ऑखों देखा हाल बताकर,आदिवासी की भाषा संस्कृति और इतिहास मिटाने की गैरो की साजिश और इसे बचाने में हमारी भूमिका इस विषय पर गंभीरतापूर्वक अभ्यासपूर्ण विचार व्यक्त किये,ग धनेगांव (कचारगढ़) में आयोजित साहित्य सरिता कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण में वे बोल रहे थे। मंचपर बतौर उद्घाटक जेष्ठ विचारक मा भरतलाल कोराम उपस्थित थे। सत्र मे सहभागी जेष्ठ कवि युवराज गंगाराम ने भी गोंडी भाषा संस्कृति और इतिहास किस तरह मिटाया जा रहा है इस पर विस्तृत विचार रखे,संयोजिका ऊषाकिरण आत्राम ताराम ने प्रस्तावना रखी,मंचपर एड. लालसुजी,जेष्ठ साहित्यकार भरतलाल कोराम ,युवराज गंगाराम,मा,पूर्णचंद्रराव राॅयसिडाम, जगतभाई उपस्थित थे। सत्र का संचालन नंदकिशोर नेताम ने किया।
बहुभाषी कवि सम्मेलन में कवियों ने रंग जमाया
इस प्रसंग पर भोजनोपरांत बहुभाषी कविसम्मेलन वरिष्ठ कवि श्री रमेश शर्मा की अध्यक्षता में हुआ जिसका
बहारदार संचालन वरिष्ठ कवि श्री छगन पंचे छगन ने किया। कवि सम्मेलन में सामाजिक, राजकीय, आर्थिक, कौटुंबिक प्राकृतिक, श्रंगार गीत,हास्य व्यंग्य कविताओं ने कवि सम्मेलन को चिरस्मरणीय बना दिया।गोंडी, हिन्दी,मराठी कविताओं, गीतो में रंग भरने का काम किया सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कवि साहित्यकार माणिक गेडाम, रमेश शर्मा, छगन पंचे, युवराज गंगाराम, प्रकाश मिश्रा,शशि तिवारी, रुपचंद जुम्हारे,रमा टेकाम, सुरेश बंजारा, नथ्थूजी उईके,नंदकिशोर नेताम ,रमेश सलामे , विनोद नेवारे ,ऊषाकिरण आत्राम आदि ने जिनकी कविताओं ने रसिक श्रोताओ का मन मोह लिया,और वाह वाही लूटी।ऊषाकिरण आत्राम ताराम ने सभी कविसाहित्यकारों का ग्रथ,पुष्प,सम्मानपत्र भेट स्वरुप प्रदान कर सम्मान किया। इस अवसर पर समाजसेविका सविता ताई बेकर भी उपस्थित थीं उन्हें भी सम्मानित किया गया।आभार रमेश कासा ने माना। इस शानदार एवं जानदार कार्यक्रम के लिए प्रमोद नेवारे,बिरजू दर्रो और उनकी पूरी टीम गेंदलाल उईके,किशोर डोये,प्रतिभा नेवारे अर्चना सयाम, ,कान्ता उईके,सुमित ठाकरे, नथ्थुजी उईके, रमेश कासाजी ने सहयोग किया।