Monday, December 22, 2025
Google search engine
HomeUncategorizedसमर्पण से जीवन में बदलाव : सद्गुरु श्री ऋतेश्वरजी महाराज

समर्पण से जीवन में बदलाव : सद्गुरु श्री ऋतेश्वरजी महाराज

गोंदिया. “जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर” इस चौपाई का भावार्थ स्पष्ट करते हुए वृंदावन सिद्धपीठ के कथा व्यास सद्गुरु श्री ऋतेश्वरजी महाराज ने कहा कि हनुमानजी केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि ज्ञान, गुण, विवेक और भक्ति के महासागर हैं। वे तीनों लोकों में अपने तेज, सेवा और समर्पण से उजागर हैं। कथा के दौरान गुरुदेव ने अत्यंत सरल और प्रभावशाली शब्दों में धर्म का मर्म समझाते हुए कहा कि “संसार में धर्म एक ही है और एक ही रहेगा। मनुष्य के विचार, सोच और आचरण अलग-अलग हो सकते हैं, किंतु शांति, प्रेम, दया और सदाचार ये सभी धर्म से ही उत्पन्न होते हैं। इसलिए जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए धर्म के प्रति सच्चा समर्पण आवश्यक है।”

धार्मिक नगरी गोंदिया के धोटे बंधू महाविद्यालय के प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय हनुमंत कथा के प्रथम दिवस, सद्गुरु श्री ऋतेश्वरजी महाराज की अमृतवाणी से बाल हनुमानजी की दिव्य लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया। कथा श्रवण हेतु यजमान श्री प्रफुल पटेल, सौ.वर्षाताई पटेल परिवार, पूर्व विधायक राजेंद्र जैन, परिसर के गणमान्य व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे और पूरे वातावरण में भक्ति, श्रद्धा व आनंद की अनुभूति हुई। श्री गुरुदेव ने बाल्यावस्था का वह प्रसंग सुनाया जब हनुमानजी ने उदय होते सूर्य को फल समझकर निगल लिया। इस लीला के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि बालक की शक्ति, जिज्ञासा और ऊर्जा यदि सही दिशा में संस्कारों के साथ प्रवाहित हो, तो वही बालक आगे चलकर समाज और राष्ट्र का आधार बनता है।

संस्कारों की महत्ता पर विशेष संदेश
सद्गुरुजी ने अत्यंत मार्मिक उदाहरण देते हुए कहा  गिली मिट्टी को जैसे आकार दोगे, वैसी ही मूर्ति बनेगी। उसी प्रकार बच्चे गिली मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें जैसा संस्कार मिलेगा, उनका जीवन वैसा ही ढलेगा। उन्होंने गुरुकुल परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्य देवो भव” इन तीनों गुरुओं से ही बालक को जीवन के मूल संस्कार प्राप्त होते हैं। माता-पिता और आचार्य का सान्निध्य ही बच्चों में श्रद्धा, अनुशासन, सेवा और नैतिकता का बीजारोपण करता है।

भक्ति और श्रद्धा से ओतप्रोत वातावरण
कथा स्थल पर “जय श्रीराम” और “जय हनुमान” के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर स्वयं को धन्य महसूस किया और परमेश्वर की कृपा का आनंद लिया। हनुमंत कथा का यह प्रथम दिवस श्रद्धा, ज्ञान और संस्कारों का अनुपम संगम रहा, जिसने श्रोताओं के हृदय में धर्म के प्रति समर्पण और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा जागृत की।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments