अर्जुनी मोरगांव तहसील के राजोली का मामला
गोंदिया. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुचारु व व्यवस्थित बनाने के लिए सरकार कागजों पर पैसा बर्बाद कर रही है. लेकिन पर्याप्त कर्मियों के अभाव के कारण जिले के अंतिम छोर पर स्थित राजोली स्वास्थ्य उपकेंद्र के हजारों नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं.
अर्जुनी मोरगांव तहसील के राजोली उपकेंद्र में केवल एक संविदा स्वास्थ्य नर्स कार्यरत है और जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमरा गई है. उल्लेखनीय यह है कि आरोग्य उपकेंद्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पांच राजस्व गांवों सहित हजारों नागरिकों के स्वास्थ्य का भार एक संविदा स्वास्थ्य कर्मी पर होने से खासकर गर्भवती महिलाओं व छोटे मरीजों को असुविधा हो रही है. राजोली में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र का विशाल भवन है. यहां एक स्थायी स्वास्थ्य नर्स है, स्वास्थ्य कर्मी और संविदा स्वास्थ्य कर्मी का एक पद है. लेकिन यहां के स्थायी स्वास्थ्य कर्मी का स्थानांतरण हो चुका है. बदले में कोई स्थायी स्वास्थ्य कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई. स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण में चले जाने से सारा भार संविदा स्वास्थ्य कर्मि पर ही आ गया है. परिणामस्वरूप भरनोली, खड़की, शिवरामटोला, बलीटोला तिरखुरी और नांगनडोह का भार इस कर्मि पर पड़ रहा है. जिससे नागरिकों को काफी परेशानी हो रही है. वर्तमान में बरसात के दिनों में अधिक टीकाकरण सर्वेक्षण और घर-घर जाने की आवश्यकता होती है, जबकि एक स्वास्थ्य कर्मि को उपकेंद्रों पर सेवाओं और अन्य कार्यों को संभालना पड़ता है. जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग को तत्काल रिक्त पदों को भरने पर ध्यान दे और स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू करें, अन्यथा नाममात्र के उपकेंद्र रखने के बजाय उन्हें बंद करें, ऐसी आक्रोश भरी प्रतिक्रिया नागरिक कर रहे हैं.
एक संविदा कर्मी के भरोसे 5 गांवों का स्वास्थ्य
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