गोंदिया। (19 जनवरी)
पिछले सात साल से चल रहे एक नाबालिग लकड़ी से दुष्कर्म के मामले पर आज 19 जनवरी को जिला व विशेष कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी अजय नागोराव ऊइके (30वर्ष) को 20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। वही 30 हजार दंड की सजा दी।
ये प्रकरण वर्ष 2015 में देवरी थाना क्षेत्र में घटित हुआ था। पीड़िता की उम्र उस दौरान 16 वर्ष थी वही आरोपी अजय ऊइके की उम्र उससे ज्यादा। आरोपी पीड़िता का रिश्तेदार था। आरोपी का पीड़िता के घर आना जाना था। घटना वाले दिन पीड़िता घर पर अकेली थी। तभी आरोपी ने उसे अपने प्रेमजाल में फांसकर उससे शादी का झांसा दिया एवं पीड़िता के इच्छा विरुद्ध उसके साथ लैंगिक/शारीरिक संबंध स्थापित किये।
इस सम्बंध में जब पीड़िता डॉक्टरी परीक्षण हेतु गई तो उसे पता चला कि वो गर्भवती है। इसके बाद पीड़िता के माता-पिता ने आरोपी के विरुद्ध देवरी थाने में मामला दर्ज कराया।
उस दौरान इस प्रकरण के जांच पुलिस अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक रामदास शेडगे देवरी ने संपूर्ण जांच पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।
इस प्रकरण पर आरोपी के विरुद्ध अपराध सिद्ध करने सरकार/पीड़िता की ओर से विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी. पारधी ने पैरवी कर न्यायालय के समक्ष कुल 18 गवाह व सबूत प्रस्तुत किये।
आरोपी के वकील व सरकारी वकील के बीच हुई जिरह, युक्तिवाद के बाद मा. न्यायाधीश ए. टी. वानखेड़े प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायाधीश, गोंदिया ने आरोपी के विरुद्ध सरकार पक्ष की ओर से प्रस्तुत वैद्यकीय रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेजों को ग्राहय मानते हुए आरोपी अजय नागोराव ऊइके उम्र 30 वर्ष को भादवि की धारा 376 (2-एन) अंतर्गत 10 साल की सजा व 15 हज़ार रुपये दंड, दण्ड न भरने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई। इसके साथ ही बालकों के लैंगिक शोषण से संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 अंतर्गत 10 साल की सजा व 15 हजार रुपये दंड, दंड न भरने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा ऐसा कुल 20 साल सश्रम कारावास व 30 हजार रुपए दंड की सजा सुनाई।
इस प्रकरण पर पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले, अपर पुलिस अधीक्षक अशोक बनकर के मार्गदर्शन में पीआई प्रवीण डांगे, पैरवी कर्मचारी ब्रिजलाल राऊत देवरी ने उत्कृष्ट कार्य किया।