मनसे में रोष : रखरखाव मरम्मत का वास्तव में क्या हुआ?
गोंदिया. बिजली की खपत को कम करने के लिए सरकारी कार्यालयों और सरकारी आवासों में सौर ऊर्जा संचालित छतें स्थापित की गईं. डेढ़ साल पहले इसे जिलाधीश बंगले में भी लगाया गया था. लेकिन वर्तमान समय में वह सोलर पैनल टूट गया. मनसे की ओर से सवाल उठाया गया है कि इनके रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी है.
वर्तमान में बिजली की दरें बढ़ी हुई हैं. बिजली की मांग अधिक और उत्पादन कम होने से हाहाकार मचा हुआ है. इसलिए सरकार ने सौर ऊर्जा को महत्व दिया. उसके लिए केंद्र और राज्य सरकार सब्सिडी भी दे रही है. सरकार सरकारी कार्यालयों और सरकारी आवासों में बिजली की लागत कम करने के लिए सौर ऊर्जा पैनल लगा रही है. लगभग 40 लाख रु. की लागत से गोंदिया जिलाधीश के आधिकारिक आवास पर एक सौर ऊर्जा संचालित छत भी स्थापित की गई है. यह काम डेढ़ साल पहले किया गया था. लेकिन वह पैनल टूट गया है. उनकी मरम्मत की जिम्मेदारी उन्हें स्थापित करने वाली संस्था और महावितरण की है. लेकिन अभी तक इसकी मरम्मत नहीं कराई गई है. मनसे की ओर से आरोप लगाया गया है कि इस पर जो खर्च हुआ वह बर्बाद हो गया. इस मौके पर सवाल उठ रहा है कि जब खुद जिलाधीश के आवास में ऐसी स्थिति है तो पूरे जिले का क्या हाल होगा. इस संबंध में मनसे की ओर से जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा गया. बयान के मुताबिक जिलाधीश कार्यालय, जिलाधीश निवास, पुलिस अधीक्षक, नगर परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत आदि में भी यही स्थिति है. ज्ञापन में मांग की गई है कि इनकी तुरंत मरम्मत कराई जाए.
जिलाधीश बंगले का ‘सोलर पैनल’ टूटा
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