मंजूरी की बाट जोह रहे विविध संस्थाओं के संचालक
गोंदिया – राज्या में गोंदिया एवं भंडारा जिले के 90 प्रतिशत से अधिक किसान धान की खेती पर ही निर्भर है। किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा आदिवासी विकास महामंडल एवं मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से सहकारी संस्थाओं को धान खरीदी केंद्र मंजूर कर उनसे धान की खरीदी की जाती है।
शासन के नियमानुसार जिन सहकारी संस्थाओं का तीन वर्ष का अडिट हुआ हो, उन्ही संस्थाओं को धान खरीदी केंद्र शुरू करने के लिए मंजुरी दी जाती है और इस संबंध में जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए शासन ने केंद्र मंजुर करने के अधिकार भी दिए हैं। लेकिन सत्तापक्ष से नजदिकी रखने वाले कुछ संस्था संचालकों की संस्थाओं को एक से डेढ वर्ष की अवधि के बाद ही धान खरीदी केंद्र मंजुर किए गए। जिससे शासन के नियमों का खुलेआम उल्लंघन होने का आरोप अनेक संस्था संचालकों ने लगाया है। बताया जाता है कि कुछ नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के नजदिकी संचालकों की संस्थाओं को केंद्र शुरू करने की मंजुरी दी गई है एवं शासन द्वारा निर्धारित किए गए सारे नियमों एवं शर्तों का पालन करने के बावजूद अनेक पुराने केंद्रों के प्रस्ताव को मंजुरी नहीं दी गई है। इन संस्थाओं ने 10-10 लाख रुपये के डीडी एवं 2200 रुपये शुल्क शासन के पास जमा किए हैं। इसके बावजूद इन संस्थाओं के प्रस्ताव को मंजूरी न देते हुए नई संस्थाओं को मंजुरी देने पर शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे है। शासन निर्णय के अनुसार तीन वर्ष का ऑडिट पुर्ण होनेवाली पुरानी संस्थाओं को रबी फसल की खरीदी शुरू होने से पुर्व मंजुरी दिए जाने की मांग आवेदन करनेवाले संस्थाओं के संचालकों ने किया है।
नियमों का पालन कर दी जाएगी मंजुरी
शासकीय धान खरीदी केंद्रों की मांग से संबंधित प्रलंबित प्रस्तावों को मुझे देखना होगा। शासन के नियमानुसार तीन वर्ष का ऑडिट पुर्ण करनेवाली संस्थाओं को ही केंद्र मंजुर करना अनिवार्य है। फिलहाल मैं फाईलों की जांच कर रहा हुं. इसके बाद ही धान खरीदी केंद्र को नियमानुसार मंजुरी दी जाएगी।
चिन्मय गोतमारे,
जिलाधिकारी, गोंदिया
रवि ठकरानी
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