अभिभावकों के सवाल : छात्रों की सुरक्षा पर सवालिया निशान
गोंदिया. छात्रों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक अनुशासित छात्र बनाने के लिए केंद्र सरकार ने देश भर के हर जिले में नवोदय विद्यालयों की स्थापना की है. जिले के नवेगांवबांध स्थित नवोदय विद्यालय में ये सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन यहां छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा सामने आ गया है. एक मामले से यह बात सामने आई है कि अगर छात्रों की तबीयत खराब हो जाए या छोटी-मोटी दुर्घटना हो जाए तो स्कूल प्रशासन इसे नजरअंदाज कर देता है, लेकिन अभिभावकों को इसकी साधारण जानकारी भी नहीं दी जाती है. तो आखिर इस स्कूल में क्या चल रहा है? ऐसे सवाल छात्रों के अभिभावकों को पड़ रहा है.
नवोदय विद्यालय छात्रों के चयन के लिए कक्षा 5वीं और 7वीं में प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है. इस परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों का चयन नवोदय के लिए किया जाता है. आज जिले के हर तहसील से चयनित विद्यार्थी नवेगांवबांध स्थित नवोदय विद्यालय में पढ़ रहे हैं. इस बीच सालेकसा तहसील का एक छात्र अंश अर्जुन सूर्यवंशी भी कक्षा 7वीं में पढ़ रहा है. इसी बीच 7 अगस्त को स्कूल के खेल के मैदान में फुटबॉल खेलते समय वह गिर गया. इस समय वहां मौजूद स्टाफ ने उसे प्राथमिक उपचार दिया और अपने कमरे में जाने के लिए कहा. लेकिन उसके हाथ को बुरी तरह चोटे लगने की वजह से वह पूरी रात रोता रहा और अगली सुबह, अंश का हाथ सूज गया. इस समय प्रशासन ने फिर से उसका इलाज किया. समस्या बिगड़ने पर उसे एक ग्रामीण अस्पताल ले जाया गया. जब ऐसा हुआ तो स्कूल प्रशासन ने तीन दिन तक अंश के माता-पिता को कोई जानकारी नहीं दी. लेकिन जब लगा कि वह ठीक हो जाएगा तो 10 अगस्त को अंश के पिता अर्जुन सूर्यवंशी को घटना की जानकारी दी गई. इसी बीच 11 अगस्त को वह स्कूल पहुंचा और अंश को गोंदिया के एक निजी अस्पताल में ले गया. जहां डाक्टर ने कहा कि बड़ा फ्रैक्चर है और उसकी सर्जरी करनी होगी. अगर अंश को समय पर इलाज मिल जाता तो सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन स्कूल प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार ने अंश को अपंग बना दिया. सर्जरी के लिए उनके पिता को काफी पैसे चुकाने पड़े. उल्लेखनीय यह है कि गोरेगांव तहसील के सोनी के संगम खिलेश्वर बोपचे के इस छात्र की पिछले साल भी फुटबॉल खेलते समय मौत हो गई थी. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन गंभीर नहीं है. तो क्या वाकई नवोदय विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र इससे सुरक्षित हैं? ऐसा सवाल उठ रहा है और अंश जैसे कई छात्रों के साथ ऐसा हुआ भी होगा, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य के लिए शायद कोई नहीं बोल रहा है या आगे नहीं आ रहा है.
शिक्षकों को जानकारी नहीं
अंश का हाथ टूटने के बाद उसे छुट्टी पर घर भेज दिया गया. लेकिन यह पता चला कि उसके शिक्षकों को इसकी जानकारी नहीं थी. इस घटना के बाद और अंश के हाथ की सर्जरी के बाद शिक्षक संदीप ने अंश के पिता को फोन किया और अंश से पेपर सॉल्व कराकर भेजने को कहा. जब शिक्षक को बताया गया कि अंश का हाथ टूट गया है तो उक्त शिक्षक ने कहा कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है. इस बार अंश के पिता और शिक्षक के बीच फोन पर बहस भी हुई.
बच्चे का दाखिला दूसरे स्कूल में करवाया जाएगा
नवोदय विद्यालय में सब कुछ ठीक है. हम अपने बच्चों को इस विश्वास के साथ भेजते हैं कि बच्चों की देखभाल की जाएगी. लेकिन अगर स्कूल प्रशासन की ओर से ऐसा हो रहा हो तो क्या कहा जाए. आज मेरे 70 से 80 हजार रु. खर्च हो गए हैं. हम अंश का दूसरे स्कूल में दाखिला करेंगे और इसके लिए हमने स्कूल से टीसी के लिए अनुरोध किया है.
अर्जुन सूर्यवंशी, अभिभवक, सालेकसा
यह सब झूठ है
जिस दिन फुटबॉल खेलते समय वह गिर गया तो छात्र ने किसी को नहीं बताया. फिर अगले दिन मैंने स्कूल की नर्स को बताया. इस बार उसे सरकारी अस्पताल ले जाया गया और एक्स-रे लिया गया. हमारे पास यह भी रिकॉर्ड है कि उसके माता-पिता को उसी समय सूचित किया गया था. उसके पिता स्वयं देर से आए. अंश के माता-पिता द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं.
देवानंद थुल, प्राचार्य, नवोदय विद्यालय, नवेगांवबांध