गोंदिया. अस्पतालों की स्थापना करते समय पार्किंग के लिए स्थान निर्धारित करना पड़ता है. इसके बाद ही संबंधित विभाग इमारत निर्माण की अनुमति देता है. लेकिन हकीकत तो यह है कि शहर के अधिकांश निजी अस्पतालों के पार्किंग स्थल गायब हैं और इसका प्रमाण शहर के अस्पतालों के सामने खड़े बेलगाम वाहनों से मिलता है. जिससे नागरिकों और वाहन चालकों को अक्सर इस समस्या से जूझना पड़ता है.
जिले का मुख्यालय होने के नाते, शहर में विभिन्न सरकारी कार्यालय और विभिन्न बड़े निजी अस्पताल हैं. ये अस्पताल मुख्य सड़कों, चौराहों और यातायात क्षेत्रों में स्थित हैं. मार्ग पर कई दुकानें और विभिन्न कार्यालय हैं. जबकि कई सड़कें पहले से ही संकरी हैं, उन पर व्यवसायियों ने अतिक्रमण कर दुकानें लगा ली हैं. अस्पतालों की बिल्डिंग बनाते समय उसमें पार्किंग की जगह तय करनी होती है. इसके बाद ही नगर पालिका या संबंधित विभाग निर्माण की अनुमति देता है. ये अस्पताल अनुमति लेते समय पार्किंग की जगह दिखाते हैं. लेकिन बाद में यह जगह गायब हो जाती है. शहर के अनेकों अस्पतालों के पास अपनी पार्किंग व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीज और उनके परिजन अपने वाहन सड़क किनारे पार्क कर देते हैं. जिससे ट्रैफिक जाम हो जाता है.
निजी अस्पतालों की पार्किंग गायब
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