गोंदिया. ग्राम पंचायतों में सबसे अधिक समस्याएं घरकुल योजना के अंतर्गत घरकुल वितरण के दौरान निर्माण होती है. ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों को घरकुलों के मंजूर करने के मामले में सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि घरकुल मंजूर करने के अधिकार ग्राम पंचायतों को नहीं है. जिसके कारण अनेक बार जरूरतमंद लाभार्थी घरकुल से वंचित रह जाते है और जिन्हें आवश्यकता नहीं है. इसी प्रश्न को लेकर राकांपा के जिलाध्यक्ष गंगाधर परशुरामकर ने नई मुंबई में ग्रामीण गृह प्रकल्प की उपसंचालक से भेंट कर विस्तार से चर्चा की व उन्हें ग्राम पंचायतों को आने वाली समस्याओं से अवगत कराया.
उन्होंने कहा कि गांवों में बाढ़ की स्थिति अथवा अन्य कारणों से मकान क्षतिग्रस्त होने पर पीड़ितों को ग्राम पंचायत निवास नहीं दे सकती. इसमें ग्राम पंचायत का कोई दोष नहीं होने के बावजूद सारा ठिकरा ग्राम पंचायतों के सिर पर फोड़ा जाता है. घरकुलों के सूची पर सरकार काम करती है. लेकिन अनेक लोगों को आवश्यकता न होने पर भी उनके नाम सूची में आ जाते है. अनेक लाभार्थी रिजेक्ट बाय सिस्टम में अपात्र हो जाते है. ग्राम पंचायतों को सूची में दिए गए क्रम के अनुसार लाभार्थी को लाभ देना होता है. ऐसी अनेक समस्याओं के बारे में परशुरामकर ने प्रकल्प उपसंचालक से चर्चा की. उपसंचालक ने बताया कि इस संबंध में सारे निर्णय भारत सरकार के दिशानिर्देशानुसार किए जाते है. कभी-कभी लाभार्थियों को थोड़ी परेशानियां भी हो सकती है. लेकिन हर पात्र लाभार्थी को घरकुल उपलब्ध हो इसके लिए शासन प्रयत्नशील रहता है. उपसंचालक को सासंद प्रफुल पटेल का एक पत्र भी सौंपा गया. चर्चा के दौरान पूर्व जिप सदस्य किशोर तरोणे, भिवखिड़की ग्राम पंचायत के उपसरपंच निलकंठ बोरकर, पिंटु भेंडारकर आदि उपस्थित थे.
प्रकल्प उपसंचालक को समस्याओं से करवाया अवगत
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