गोंदिया. जिले के नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व से भटकी एक बाघिन पिछले दो महीने से वन विभाग की टीम को परेशान कर रही है. गोंदिया तहसील के रावणवाड़ी चंगेरा क्षेत्र में प्रवेश करने वाली बाघिन ने फिर से अपना मार्ग बदल लिया. कामठा से होते हुए आमगांव और अब सालेकसा तहसील में घुम रही है, ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है. जिससे आमगांव व सालेकसा तहसील के नागरिकों में भय का माहौल बन गया है.
चंद्रपुर जिले के ब्रह्मपुरी वन रेंज से लाई गई दो बाघिनों को 20 मई को नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था. आठ-दस दिन बाद इन दोनों बाघिनों में से एक नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व से भटक गई. यह बाघ अर्जुनी रोड से होते हुए गोरेगांव तहसील के पिंडकेपर, हिरडामाली इलाके में घुस गई. इसके बाद बाघिन ने अपना रुख गोंदिया तहसील की ओर कर दिया. लगभग डेढ़ महीने तक तहसील के पांगडी जलाशय क्षेत्र में रहे. इसके बाद यह बाघिन भटक गई और रावणवाड़ी चंगेरा इलाके के राजा-रानी वन क्षेत्र में घुस गई. इसलिए वन विभाग की टीम रावणवाड़ी और चंगेरा क्षेत्र में डेरा डाले हुए थे. 7 जुलाई को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे यह बाघिन इस इलाके से निकलकर कामठा और घटटेमनी इलाके की ओर चली गई. इस बाघिन को जीपीएस टैगिंग लगाई गई है. उससे वन विभाग की टीम ने यह भी कहा कि इस बाघिन की लोकेशन कामठा-घटटेमनी क्षेत्र में बताई गई थी. इस इलाके में बाघ की मौजूदगी के चलते वन विभाग के कर्मचारियों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी और उनसे रात में अकेले बाहर न निकलने की अपील भी की है. लेकिन 8 जुलाई को बाघिन आमगांव तहसील से सालेकसा तहसील में घुसने बात बताई गई है. जिससे आमगांव और सालेकसा तहसील के नागरिकों में दहशत निर्माण हो गई है.
नागरिक सतर्क रहें
रावणवाड़ी, कामठा परिसर से बाघिन आमगांव तहसील में पहुंच गई थी. लेकिन बाघिन सालेकसा तहसील में घुम रही है, ऐसा बताया जा रहा है. जिससे नागरिक रात में अकेले बाहर न निकलने व सतर्क रहें, ऐसी अपील सालेकसा के थानेदार बाबासाहेब बोरसे ने किया है.