8 दिनों से बाघिन पांगड़ी तालाब में डेरा डाले हुए
गोंदिया. गोरेगांव वन विभाग के धानुटोला पांगडी परिसर में पिछले 8 दिनों से बाघिन डेरा डाले हुए हैं. वन विभाग द्वारा उस बाघिन की ताजा लोकेशन आज भी पांगडी तालाब ही बताई जा रही है. बाघिन को नागझिरा प्रकल्प में लाने वन विभाग के पसीने छूट गए हैं. एक बाघिन के पीछे प्रशासन का लाखों रु. खर्च हो रहा है. परंतु अबतक वन विभाग अपने प्रयास में पूरी तरह असफल साबित हुई है. ऐसे में बाघिन को लेकर इर्द-गिर्द अनेक गांवों में एक दहशत बनी हुई है. यहां ग्रामीणों का रोजगार संकट में आ गया है. साथ ही पालतू मवेशीओ को भी चारा नहीं मिल पा रहा है.
नागझिरा अभयारण्य के पिटेझरी गेट से वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की उपस्थिति में 21 मई को दो बाघिनों को छोड़ा गया था. जिसमें से एक बाघिन भटक कर गोरेगांव वन विभाग के क्षेत्र में आ गई है. 27 मई को उस बाघिन को डव्वा, रापेवाडा, पिंडकेपार वन क्षेत्र में देखा गया था. 30 मई को बाघिन पांगडी तालाब वन क्षेत्र में पहुंची. इस बीच बाघिन को नागझिरा प्रकल्प में लाने गोरेगांव गोंदिया वन विभाग के साथ-साथ नागझिरा नवेगांव की पुरी टीम पिछले 8 दिनों से जुड़ी हुई है. सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह वन कर्मियों की तैनाती की गई है. जिसमें प्रतिदिन प्रशासन के लाखों रु. खर्च हो रहें हैं. परंतु बाघिन को प्रकल्प में लाने वन विभाग को सफलता हासिल नही हुई है. 8 दिनों का समय बीत चुका है और पर्यटकों के आवागमन पर रोक लगी हुई है. जिसके चलते पूरे परिसर में वीरानी सी छाई हुई है. जिसमें धानुटोला, पांगड़ी, हेटी तथा लेंडेझरी के नागरिक दहशत में जी रहे हैं. यहां स्थिति मवेशी पिछले 8 दिनों से बंधे हुए है. क्षेत्र में चल रहे है रोजगार हमी समेत सभी कार्य बंद है. ऐसे में ग्रामीणों के रोजगारी पूरी तरह से ठप पड़ गई है. जिसमें पान टपरी, चाय दुकान तथा रिसोर्ट पूरी तरह ठप पड़े हुए हैं. वन विभाग द्वारा टाइगर रिजर्व की विशेष टीम बुलाई गई है. जो समय-समय पर परिसर के गश्त लगा रही हैं. परंतु, बाघिन अभी भी पांगडी तालाब में डेरा डाले हुए हैं.
बाघिन को नागझिरा लाने में वन विभाग असफल
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