राज्य के मुख्य सचिव एवं सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव के माध्यम से भारत सरकार को सौंपा ज्ञापन
भंडारा/गोंदिया. राज्य के पूर्व मंत्री और भंडारा-गोंदिया जिले के पूर्व पालकमंत्री डॉ. परिणय फुके ने हाल ही में मुंबई मंत्रालय में राज्य के मुख्य सचिव और सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव से मुलाकात की. इस भेंट के दौरान निवेदन के माध्यम से भंडारा-गोंदिया जिले के ढिवर (ढीमर) समाज को 1950 से पहले मिलें अनुसूचित जाति (एस.सी.) आरक्षण की पुनःबहाली की मांग की और भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से सिफारिश करने का अनुरोध किया। इस मुलाकात भेंट के दौरान उनके साथ अखिल ढिवर समाज विकास समिति का एक प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था.
पूर्व पालकमंत्री डॉ. परिणय फुके ने कहा कि अखिल ढिवर समाज विकास समिति, भंडारा एक व्यापक सामाजिक संगठन है जिसमें भंडारा और गोदिंया जिलें के ढिवर (ढीमर) समाज के विभिन्न सामाजिक संगठन शामिल हैं.
गौरतलब है कि, भारत सरकार के अनुसूचित जाति आदेश दि. 30 अप्रैल 1936 को भंडारा जिले के ढिवर समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया। इसके मुताबिक ढिवर समुदाय को 15 साल तक अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ मिलता रहा. लेकिन सरकार द्वारा 10 अगस्त 1950 को एक आदेश निकालकर ढिवर समाज को अनुसूचित जाति के आरक्षण से बेदखल कर अन्याय किया गया।
श्री फुके ने कहा कि भारत सरकार की वर्ष 1911, 1921 एवं 1931 की जातिवार जनगणना के अनुसार भंडारा एवं गोदिंया जिले में ढिवर समुदाय की कुल जनसंख्या 2,83,413 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 1,40,734 और महिलाओं की संख्या 1,42,679 है। 2011 की वर्तमान जनगणना के अनुसार इस समुदाय की वर्तमान जनसंख्या 5.65 लाख है।
उन्होंने कहा, देश को आजाद हुए 75 साल हो गये हैं. जहां आज देश में 75वां अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वहीं 2025 में भंडारा और गोदिंया जिलें में ढिवर समुदाय को अनुसूचित जाति की सूची से हटाए जाने के 75 साल पूरे हो गए हैं।
फुके ने कहा, भारत रत्न डाॅ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अक्टूबर 1948 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘द अनटचेबल्स’ में ढिमर समुदाय का उल्लेख अनुसूचित जाति के रूप में किया है।
पूर्व मंत्री श्री फुके ने भंडारा-गोंदिया जिले की ढिवर (ढीमर) जाति को 1950 से पहले का अनुसूचित जाति (एस.सी.) आरक्षण बहाल करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, भारत सरकार को अपने उचित स्तर पर अनुशंसा कर कार्रवाई करने का अनुरोध पत्र के माध्यम से राज्य के प्रमुख सचिव व सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव से किया है।
इस संबंध में मंत्रालय, मुंबई में महाराष्ट्र राज्य के मुख्य सचिव श्री नितिन करीर और सामाजिक न्याय विभाग के प्रधान सचिव श्री सुमंत भांगे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉ. परिणय फुके को आश्वस्त किया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए उनके स्तर पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।