समाज के सामने एक आदर्श
गोंदिया : छोटी सी उम्र में ही माता-पिता को खो दिया. गरीबी में सहारा देने वाला कोई नहीं था. रिश्तेदार भी मदद के लिए आगे नहीं आए. ऐसे स्थिति में तहसील के काटी के दोनों बहनों ने कड़ी मेहनत की और हाल ही में उनका पुलिस बल में चयन हुआ. उन दोनों बहनों के नाम रंजीता गिरी और कंचन गिरी हैं.
उसके पिता का पता चलने से पहले ही उसके पिता की मृत्यु हो गई. जबकि उसके चाचा और चाची की भी मृत्यु हो गई. तो इनकी मां को इनके सामने पड़ोसी ने मार डाला. बच्चे जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे. दो घरों का इकलौता कमाने वाला भी हमेशा के लिए खामोश हो गया था. तेरह साल पहले यह घटना घटी थी. उस समय गिरि परिवार का संकेत स्कूल भी नहीं गया था. आज वह पॉलिटेक्निक में है. आठ लोगों के परिवार के पास न तो जमीन है और न ही आय का साधन. सबसे बड़ा बेटा 21 साल का वह डी.एड. कर रहा था. गांव के कुछ अच्छे लोगों ने पहाड़ी पारी कुपार लिंगो संस्था की सामाजिक कार्यकर्ता सविता बेदरकर से उनका परिचय कराया. हत्यारे का परिवार पास में ही रहने के कारण बच्चों ने अपनी जान के डर से गांव छोड़ दिया और गंगाझरी थाने के पास किराए पर रहने लगे.
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
रंजीता और कंचन ने धीरे-धीरे आठवीं कक्षा से सामाजिक न्याय विभाग के छात्रावास में प्रवेश किया. छात्रावास में रहकर रंजीता गिरी, कंचन गिरि ने खूब पढ़ाई की. कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी. इस प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से ही रंजीता गिरि का चयन नागपुर पुलिस मंडल के लिए और कंचन गिरि का चयन गोंदिया पुलिस मंडल के लिए हुआ था.