गोंदिया. जिले में मुख्य मार्गों के चौड़ाईकरण के कार्य किए जा रहे हैं. जिले के प्रमुख राज्य मार्गों को राष्ट्रीय महामार्ग का दर्जा बहाल कर इन मार्गो के चौडाईकरण के साथ ही नया निर्माण किया जा रहा है. इसमें फोर लाईन काम के लिए शुरुआत में बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की गई. जिससे मार्गों के दोनों बाजू पर वर्षों से लगे पुराने पीपल, ईमली, नीम, पलाश, बबुल के पेड़ों की मनमाने ढंग से कटाई कर दी गई है. इनकी कटाई के बाद राष्ट्रीय महामार्ग के आकर्षण में कमी आ गई है. इतना ही नहीं दूर दूर तक मार्ग उजड़े व बेतरतीब दिखाई दे रहे है. शासन के माध्यम से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत ग्रामीण मार्गो को चौड़ा कर निर्माण कार्य किया जा रहा है. इसी में केंद्र सरकार ने अनेक राज्यमार्ग व महामार्गो के राष्ट्रीय महामार्ग में रुपांतर कर इन मार्गो को चौड़ा करने के साथ ही सीमेंटीकरण शुरू किया है. इसमें गोंदिया से गोरेगांव इस मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है. वहीं गोंदिया, तिरोड़ा व गोंदिया-आमगांव इन मार्गो का निर्माण कार्य प्रगती पर है. इन निर्माण कार्यों के चलते मार्ग पर आवागमन करने वाले नागरिकों को धूल, कीचड़ व खुदाई कार्य से परेशानी सहन करनी पड़ रही है. इन मार्गो का निर्माण कार्य शुरू करने के पूर्व ही पुराने पेड़ों की कटाई कर दी गई. इन तीनों मार्गो पर हजारों हरे भरे पेड़ लहरा रहे थे. वर्तमान में गोंदिया से गोरेगांव मार्ग पर ध्यान देने पर यह मार्ग पेड़ों के अभाव में सौंदर्यविहीन दिखाई दे रहा है. इन मार्गो पर छांव देखकर रूकने के लिए कोई पेड़ नहीं बचे है. वहीं अब पौधारोपण व संवर्धन का महत्व सही अर्थो में सामने आ रहा है. इसके बाद भी प्रत्यक्ष में राष्ट्रीय महामार्ग प्रकल्प व प्रशासन में उदासीनता दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय महामार्ग पर गोरेगांव से गोंदिया तक मार्ग चौड़ा करने के काम में अनेक वर्ष पुराने बड़े-बड़े पेड़ों की खुले आम कटाई की गई. एक ओर मार्ग फोर लाईन करने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर पौधारोपण की ओर दुर्लक्ष हो रहा है.
गोरेगांव स्थित तहसील कार्यालय परिसर में राज्य मार्ग के दोनों छोर पर गुलमोहर, प्लटाफाम, सुबबुल, कॉशिया, शीशम आदि जाति के 40 वर्ष पुराने पेड़ थे. जिससे यह परिसर लघु उद्यान जैसे दिखाई दे रहा था. गर्मी के दिनों में इस मार्ग पर अनेक राहगीर रुककर पेड़ों के नीचे आराम फरमाते थे लेकिन इन पेड़ों की कटाई के बाद मार्ग सुनसान हो गया है. इन पेड़ों को वन सामाजिक वनीकरण विभाग के तत्कालीन आरएफओ बी.एम.भांडारकर की संकल्पना से लगाया गया था. इन पेड़ों की कटाई के बाद इसी मार्ग पर पुन: वैसे ही पेड़ लगाने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
रवी ठकरानी
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