बिना किसी अनुबंध के नौकरी पर रखा गया
गोंदिया. जिले के प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान में मरीज देखभाल के लिए आवश्यक सेवा के रूप में ‘102’ प्रणाली के तहत एम्बुलेंस प्रदान की गईं है. उन एम्बुलेंसों को चलाने के लिए 2006-07 से वेतन के आधार पर ड्राइवरों की नियुक्ति की गई है. लेकिन उन ड्राइवरों को अप्रैल 2022 से अब तक वेतन नहीं मिला है. ड्राइवरों का कहना है कि 24 घंटे काम करने के बावजूद उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है और कर्ज बढ़ने से उनके परिवारों को परेशानी हो रही है.
पहले मरीजों को अपने उपकरण लेकर अस्पताल आना पड़ता था. लेकिन समय के साथ सरकार ने मरीज़ों को अस्पताल तक लाने और उनकी देखभाल करने और घर वापस लाने के साधन उपलब्ध कराए हैं. जिले में 67 वाहन चालकों की नियुक्ति की गई है. इसके बाद तत्कालीन जिला परिषद स्वास्थ्य समिति सभापति विनोद अग्रवाल ने दैनिक व्यवस्था बंद कर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत मरीज कल्याण समिति के माध्यम से उनकी नियुक्ति कर दी. उस समय उन्हें नियमित वेतन और पारिश्रमिक में वार्षिक वृद्धि मिलती थी. लेकिन ड्राइवरों को बिना कोई जानकारी दिए भोपाल की एक कंपनी को ड्राइवर उपलब्ध कराने का ठेका दे दिया गया. कंपनी ने उन्हीं ड्राइवरों को 11 महीने के अनुबंध पर नियुक्त किया. एक साल बाद कंपनी ने दोबारा ठेका नहीं लिया. अब वह ठेका चंद्रपुर जिले की संत मीराबाई संस्था को दिया जाना था. लेकिन ड्राइवरों ने उस संगठन के साथ काम करने से इनकार कर दिया. अब 16 माह से अधिक समय बीत चुका है, 67 चालक बिना अनुबंध और बिना वेतन के काम कर रहे हैं. ये कर्मचारी 24 घंटे काम करते हुए लॉगबुक भी भर रहे हैं और हाजिरी भी लगा रहे हैं. पिछले साल ड्राइवरों ने वेतन और वेतन बढ़ोतरी के लिए 27 दिनों तक विरोध प्रदर्शन भी किया था. विधायक विनोद अग्रवाल के हस्तक्षेप के बाद आंदोलन वापस लिया गया. उन कर्मचारियों ने अपने हक के लिए कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया. गौरतलब है कि इन कर्मचारियों को महज 8 हजार रु. वेतन दिया जा रहा है. इसके विपरीत चालकों का कहना है कि उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत अन्य जिलों में 21 हजार से अधिक वेतन मिल रहा है. कंपनी छोड़ने के बाद भोपाल में 21,760 रु. की दर से 15 दिन का वेतन दिया. इसलिए कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि अब तक उन्हें लूटा गया है. चालक जननी सुरक्षा, मानव विकास, दुर्घटना, स्वास्थ्य शिविर, मंत्रिस्तरीय काफिला, सम्मेलन, अस्पताल प्रशासन में काम करता है. कर्मचारियों की मांग है कि अहम कारक ड्राइवरों को न्याय मिलना चाहिए.
आर्थिक संकट में परिवार
हम पिछले कई वर्षों से दैनिक आधार पर काम कर रहे हैं. 24 घंटे हम मरीजों और प्रशासन की सेवा कर रहे हैं. लेकिन हमें न्याय नहीं मिल रहा है. 16 माह से वेतन न मिलने से परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. हमें दैनिक वेतनभोगी के बजाय संविदा कर्मी कहा जाए और एनआरएचएम द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार भुगतान किया जाए.
शेखर चंद्रिकापुरे, अध्यक्ष, ड्राइवर एसोसिएशन
जल्द ही न्याय मिलेगा
मौजूदा ड्राइवरों की भर्ती एक बाहरी प्रणाली के माध्यम से की गई थी. उन्हें भुगतान करना उस बाहरी संस्था की जिम्मेदारी है. यह उचित नहीं है कि ड्राइवर बिना वेतन के 16 महीने से अधिक समय तक काम करें. अन्य स्थाई कर्मचारियों को उनसे सीख लेनी चाहिए. मुआवजे के लिए ड्राइवरों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जल्द ही फैसला आने की संभावना है.
यशवंत गणवीर, अध्यक्ष, स्वास्थ्य समिति