48 वर्षों बाद भी पलानगांव की संस्था कर्ज में डूबी हुई
गोंदिया. देवरी तहसील के पलानगांव की बाघ उपसा जल सिंचाई सहकारी संस्था अब अस्तित्व में नहीं है. इस संस्था का पंजीकरण 31 मार्च 2012 को रद्द कर दिया गया था. इसके बाद भी इस संस्था पर भंडारा के भुविकास बैंक का 10 लाख 36 हजार रु. का कर्ज है. अब सवाल यह उठ रहा है कि इस संस्था का कर्ज कौन चुकाएगा.
बाघ उपसा जलसिंचन योजना पलानगांव संस्था को भुविकास बैंक खाते में मात्र 27 हजार रु. का कर्ज जमा कराना था. संस्था इस रकम का भुगतान नहीं कर सकी. इसके चलते भुविकास बैंक ने ब्याज वसूला. अब कुल 10 लाख 36 हजार रु. ब्याज देना होगा. जो संस्था 27 हजार नहीं दे पाई, उस संस्था को बंद कर दिया गया. क्या वह 10 लाख से अधिक का भुगतान करेगी? उल्लेखनीय है कि पलानगांव की संस्था को 14 अप्रैल 1977 को कर्ज दिया गया था. कर्ज दिए हुए 48 साल हो गए हैं. उस वक्त इस संस्था ने 1.92 लाख रु. का कर्ज लिया था. लेकिन संस्था के पास इसकी मूल राशि 27 हजार थी. ब्याज और जुर्माना अर्जित करने के बाद 10.09 लाख हो गए थे. मूल राशि से कई गुना अधिक ब्याज और जुर्माना वसूला गया. अब संस्था पर 10.36 लाख रु. का कर्ज है. उक्त जानकारी सहकारी संस्था गोंदिया के तत्कालीन जिला उपनिबंधक एस.पी. कांबले ने 25 नवंबर 2019 को सहकारी संस्था नागपुर के विभागीय सह निबंधक को एक पत्र के माध्यम से दी थी. ऐसा अराजक प्रशासन अक्सर सहकारी क्षेत्र में देखने को मिलता है. 48 साल पहले कर्ज लेने वाले संचालकों और सदस्यों से भी वसूली की गई. सहयोग के बिना मुक्ति नहीं, यह सूत्र वाक्य काम नहीं करता. राजनीति के कारण सहकारी क्षेत्र की कई ऐसी संस्थाओं का पतन हो गया है. 2009 में कई संस्थाओं को कर्ज माफी का लाभ दिया गया. लेकिन इस संस्था को कर्ज माफी का लाभ नहीं दिया गया. 48 साल पहले लिया गया कर्ज किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है.
7 जलसिंचाई संस्थाओं पर 90.52 करोड़ का कर्ज
मुंडीकोटा उपसा जलसिंचन सहकारी संस्था ने 31 मार्च 1999 को जिला सहकारी संस्था से 138.12 लाख का कर्ज लिया था. इस संस्थान पर 110.52 लाख रु. बचे थे. इस संस्था पर 304.82 लाख का ब्याज लगाए जाने से यह संस्था 415.34 लाख रु. की कर्जदार हो गई. सालेकसा तहसील के गोवारीटोला में भागीरथ जल आपूर्ति सहकारी संस्था ने 30 मई 1998 को जिला बैंक से 11.14 लाख रु. का कर्ज लिया था. उस संस्था पर 7.9 लाख रु. की मूल रकम थी. 21.08 लाख रु. ब्याज जोड़ने के बाद संस्था पर अब 28.98 लाख रु. का कर्ज है. ब्राह्मणटोला की अंबिका जल आपूर्ति सहकारी संस्था ने 30 फरवरी 1999 को जिला बैंक से 5.89 लाख रु. का कर्ज लिया था. संस्था के पास मूलराशि 3.94 लाख रु. बाकी थे. 11.02 लाख रु. ब्याज जोड़ने के बाद कर्ज 14.96 लाख रु. हो गया है. जयलक्ष्मी उपसा जलसिंचन संस्था राका ने 30 अक्टूबर 1996 को डिस्ट्रिक्ट बैंक से 50.6 लाख का कर्ज लिया था. उस पर 49.94 लाख रु. की मूलराशि बकाया थी. संस्था पर 105.19 लाख रु. मिलाकर 155.13 लाख रु. का कर्ज है. राजीव उपसा जलसिंचन संस्था हरदोली ने 20 मार्च 1997 को 79.14 लाख का कर्ज लिया. इस संस्था पर 78.77 लाख रु. बकाया था. ब्याज न चुकाने के कारण अब ब्याज सहित 227.77 लाख रु. का कर्ज हो गया है. हरीश उपसा जलसिंचन योजना बिरोली ने 1 अप्रैल 2004 को भंडारा भूमि विकास बैंक से 73.14 लाख रु. का कर्ज लिया था. इस पर 18.12 लाख रु. की रकम बकाया थी. ब्याज के रूप में 182.1 लाख लगाकर अब संस्था पर 200.22 लाख का कर्ज है. इन सातों संस्थानों पर 269.46 लाख रु. बकाया था. लेकिन उन पर 773.21 लाख के ब्याज के कारण अब 1052.76 लाख का कर्ज है.
6 संस्थाओं का पंजीकरण रद्द
गोंदिया जिले की 7 सिंचाई संस्थाएं 20 साल से ज्यादा समय से कर्ज में डूबी हैं. इन संस्थाओं पर 10 करोड़ 52 लाख रु. बकाया है. इन सात संस्थानों में से 6 संस्थानों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है. एक ही संस्था काम कर रही है. कई संस्थाएं आंतरिक कलह के कारण कर्ज लेकर उसे न चुकाने के कारण दिवालिया हो जाती हैं. परिणाम स्वरूप अब इन्हें बंद करने की नौबत आ गई है.