गोंदिया. कुपोषण मुक्त भारत बनाने के लिए शासन की ओर से करोड़ों रु. खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन कुपोषण कम होने के बजाए कुपोषित पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है. गोंदिया जिले में कुपोषित पीड़ितों का आंकड़ा चौकाने वाला है. बताया गया है कि वर्तमान में यानी नया आर्थिक वर्ष अप्रैल 2023 से 22 अगस्त 2023 तक जिले के 8 तहसीलों में 1 हजार 599 कुपोषित बालक जांच में पाए गए हैं. जबकि प्रति दिन कुपोषित बालक, गर्भवती माताएं व नवजात शिशुओं को शासन की ओर से पोषण आहार उपलब्ध किया जा रहा है. जब इस संबंध में जिला परिषद के महिला व बाल विकास विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी से योजना की अधिक जानकारी मांगी गई तो उन्होंने दूसरे दिन जानकारी देने की बात कही.
गर्भवती महिलाएं, स्तनदा माताएं व 3 वर्ष तक आयु के बालकों को घर पहुंच पोषण आहार तथा अन्य पौष्टिक सामग्री उपलब्ध की जाती है. वहीं आंगनवाड़ी सेविकाओं के माध्यम से लाभार्थी बालकों को आंगनवाड़ी केंद्रों में पाषण आहार खिलाया जाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि कोई भी बालक कुपोषित न रहे. जिसके लिए पोषण आहार व कुपोषण निर्मूलन की योजनाओं पर करोड़ों रु. खर्च किए जा रहे हैं. इसके बावजूद भी कुपोषित बालकों की संख्या में कमी नहीं आ रही है. जिला परिषद गोंदिया के महिला व बाल कल्याण विभाग से जानकारी ली गई तो बताया गया कि गोंदिया जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 1 हजार 599 बालक कुपोषित पाए गए है. जो इस प्रकार है. गोंदिया क्र. 1 में 127, गोंदिया क्र. 2 में 407, अर्जुनी मोरगांव तहसील में 223, सालेकसा तहसील में 93, देवरी में 278, सड़क अर्जुनी में 109, आमगांव में 79, तिरोड़ा तहसील में 230 व गोरेगांव तहसील में 53 इस प्रकार 1 हजार 599 कुपोषित बच्चों की संख्या है. उपरोक्त आंकड़ों को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुपोषण निर्मूलन पर करोड़ों रु. खर्च करने के बावजूद भी कुपोषित बालकों की संख्या थम नहीं रही हैं.
करोंड़ों खर्च, फिर भी 1599 बच्चे कुपोषित
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