राजनीतिक गतिविधियों ने नप चुनाव के इच्छुकों की बढ़ाई दुविधा
गोंदिया. राज्य स्तर पर चल रही राजनीतिक गतिविधियों के कारण स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव पर ब्रेक लगा हुआ है. अब चुनाव होंगे, कब चुनाव होंगे इसको लेकर तर्क वितर्क लगाए जा रहे हैं. इस दुविधा के बीच राज्य स्तर पर राजनीतिक पार्टियों के अनोखे गठबंधनों से नगर परिषद चुनाव के इच्छुकों को सोच में डाल दिया है. चुनाव लड़ने के लिए टिकट की फिल्डिंग लगा रहे इच्छुकों के सामने अब कोणता झेंडा घेऊ हाती, यह कहने की नौबत आ गई है. कब कोनसा झंडा छीन जाए यह भी कहा नहीं जा सकता.
गोंदिया नगर परिषद के साथ ही राज्य की महानगरपालिकाओं के चुनाव सवा वर्षा से अधिक समय से लटके हुए हैं. चुनाव फरवारी 2022 में सभावित थे, लेकिन ओबीसी आरक्षण की उलझन की वजह से चुनाव समय पर नहीं हो पाए. आरक्षण का मसला सुलझा, लेकिन सदस्य संख्या तथा राज्य स्तर की राजनीतिक गतिविधियों ने स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव को लटका दिया. अब फिर से राज्य में भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट की डबल इंजन की सरकार के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस के एक गुट का इंजन जुड़ गया है. इस समीकरण का असवर नगर परिषद के चुनावी समीकरण पर भी पड़ना लगभग तय है. कहा जा रहा था कि भाजपा तथा शिवसेना शिंदे गुट मिलकर नप चुनाव लड़ेंगे. अब राष्ट्रवादी कांग्रेस जुड़ने से कांग्रेस पार्षदों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करनेवाले पूर्व पार्षदों को झटका लगा है. इच्छुकों के सामने भी प्रभागों में समीकरण जोड़ने तथा टिकट पाने की चुनौती खड़ी हो गई है. शिवसेना के दो गुट हैं. अब राष्ट्रवादी कांग्रेस के भी दो गुट बन सकते हैं. ऐसे में किस गुट से चुनाव लड़ें, किस पार्टी का सहयोग लें यह अब दुविधापूर्ण हो गया है. राज्य स्तर के राजनीतिक बदलावों के कारण फिर नगर परिषद के चुनाव उलझने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
लोकसभा, विधानसभा चुनाव को लकर सरगर्मियां
वर्ष 2024 लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव होनेवाले है, जिसको लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. गोंदिया में बैठकों तथा सभाओं का दौर शुरू हो चुका है. गोंदिया में आनेवाले मंत्री, नेताओं से मिलने तथा उन्हें प्रभावित करने की होड़ पूर्व पार्षद, इच्छुकों में मची हुई है. नप चुनाव सितंबर या अक्टूबर 2023 में होने की उम्मीद इच्छुकों को है.