गोंदिया. गोंदिया जिले की सीमा मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्य तथा गढ़चिरोली जिले से सटी है. प्रतिवर्ष जिले के मजदूर तेंदुपत्ता सीजन, बास कटाई, निर्माणकार्य, सड़क काम व अन्य कामों के लिए पलायन करते हैं. लेकिन वहां जाने के बाद अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर न रते हुए दिन रात काम कर खुले स्थान में ही सो जाते हैं. गोंदिया जिले का सीमावर्ती क्षेत्र जंगलों से घिरा होने के कारण पलायन से लौटने के बाद संक्रामक रोग, मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है. पलायन होकर आए मजदूरों को किसी भी बुखार जैसे लक्षण नजर आए तो तत्काल शासकीय स्वास्थ्य संस्था में जाकर तथा गांव स्तर पर आशा सेविका, स्वास्थ्य सेवक, सेविका से मलेरिया जांच संबंधी आरडीके जांच कराए. बुखार को हल्के में न लेकर रक्त की जांच तत्काल कराए, ऐसा आव्हान जिला मलेरिया अधिकारी डा. विनोद चव्हाण ने किया है.
1 जून को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोठनगांव अंतर्गत सुरबन गांव में मजदूरों के रक्त की जांच स्वास्थ्य सेवक अमोल मालेकर व सेविका भाग्यश्री राणे द्वारा की गई. इसी प्रकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घोनाड़ी के उपकेंद्र आलेवाड़ा में तेंदुपत्ता काम से लौटनेवाले मजदूरों के रक्त की जांच स्वास्थ्य टीम के स्वास्थ्य सेवक आय.पी. पालेवार, स्वास्थ्य सेवक एस.आर. रोकडे, सेविका डी.ए. खरवड़े, आशा सेविका देवकी कुंभरे ने की. जिला शल्य चिकित्सक डा. मोहबे ने मजदूरों से आह्वान किया है कि शरीर में बुखार, सर्दी, बदन दर्द, जी मचलाना, उल्टी, जुलाब, दस्त जैसे लक्षण नजर आने पर भोंदुबाबा अथवा अप्रशिक्षित चिकित्सकों के पास न जाते हुए शासकीय अस्पताल में जाकर स्वास्थ्य की जांच कराए.
पलायन होकर आए मजदूर रक्त की जांच कराए : चव्हाण
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