जिला व सत्र न्यायालय के आदेश
गोंदिया. पिता ने बेटे पर फुंकनी से वार कर हत्या का प्रयास किया. इस मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने पहली बार कोर्ट के सामने अच्छी गवाही दी. लेकिन जब आरोपी के वकील ने क्रॉस वेरिफिकेशन किया तो फिर्यादी ने झूठी गवाही दी. जिससे पिता को सीआरपीसी 235 (1) के तहत बरी कर दिया गया. लेकिन न्यायालय ने शिकायत करने वाले बेटे के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है.
दवनीवाड़ा थाने के तहत विजयटोला के आरोपी बलिराम पांडु वाघाड़े (61) ने अपने बेटे अशोक बलिराम वाघाड़े को लोहे की फुंकनी से मारने की कोशिश की थी. आरोपी बलिराम मवेशियां चराकर अपनी जीविका चलाता है. एक दिन आरोपी बलिराम ने अशोक से जानवरों के पैसे इकट्ठा कर लाने को कहा था. लेकिन अशोक ने पैसे नहीं जुटाये. आरोपी ने लड़के को लोहे की फुंकनी से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया. दवनीवाड़ा पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस अपराध की जांच सहायक पुलिस निरीक्षक दीपक जाधव ने की थी. आरोपी के खिलाफ पुख्ता गवाह साक्ष्य एकत्रित कर मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश गोंदिया के न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया. प्रमुख जिला व सत्र न्यायाधीश गोंदिया के न्यायालय में उक्त मामले की सुनवाई के दौरान अशोक ने न्यायालय के समक्ष उक्त मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अच्छी गवाही दी. जब आरोपी के वकील ने इसकी पुष्टि की तो अशोक ने अदालत के समक्ष झूठी गवाही दी. जिससे आरोपी को फायदा हुआ.
लापरवाही न बरतें, नहीं तो कार्रवाई
न्यायालय के समक्ष झूठी गवाही देने की स्थिति में न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से कार्यवाही की जा सकती है. पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले ने अपील की है कि गोंदिया जिला पुलिस प्रशासन द्वारा अदालत में चलाए गए मामलों में अभियोजक, पंच और गवाहों को लापरवाह नहीं होना चाहिए, अन्यथा उन्हें पता होना चाहिए कि झूठी गवाही देने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.