समय पर केवाईसी की शर्त : गर्मी में बैंकों में रही भीड़
गोंदिया. देश के सबसे बड़े करेंसी नोट 2000 रु. के नोट को बंद करने की घोषणा की गई. 30 सितंबर तक नोट वापस लिए जाएंगे. नोटबंदी की प्रक्रिया 23 मई से शुरू हो गई है. ऐसे में आम नागरिक बैंक में नोट वापस करने के लिए कतार में लग रहे हैं. इसके अलावा, बैंकों द्वारा अब केवाईसी और आधार कार्ड आवश्यक करने के कारण, नागरिकों को बैंकों में आने के बाद वापस जाना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी पेंशनरों को हो रही है.
रिजर्व बैंक द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार 23 मई से 30 सितंबर तक नागरिक बैंक में अपने 2000 रु. के नोट बदल सकेंगे. या अपने खाते में जमा करा सकते हैं. कहा गया कि उसके लिए किसी तरह का पहचान पत्र देने की जरूरत नहीं है. ऐसे में लोग नोट बदलवाने के लिए बैंकों में उमड़ पड़े. आरबीआई ने भी हड़बड़ी न करने का आग्रह किया था क्योंकि नोट बदलने के लिए काफी समय है. लेकिन नागरिक कड़ी धूप में नोट बदलने के लिए बैंक जा रहे हैं. 24 मई को नागरिक बैंक पहुंचे क्योंकि उन्हें किसी तरह के पहचान पत्र की जरूरत नहीं थी. लेकिन बैंक जाने के बाद उन्हें बैंक द्वारा केवाईसी और आधार कार्ड देने के लिए मजबूर किया गया. इससे नागरिकों में हड़कंप मच गया. इसी बात को लेकर कई लोगों की बैंक कर्मचारियों से कहा-सुनी भी हुई. इस बैंक से कई लोग उस बैंक में पहुंचे. लेकिन जैसा कि उन सभी ने कारण के रूप में केवाईसी और आधार कार्ड का हवाला दिया. आखिरकार नागरिकों को अपने साथ नोट लेकर घर लौटना पड़ा. सबसे ज्यादा परेशानी पेंशनरों को होती दिखी. वृद्धावस्था में समय पर काम करना पड़ता है. इसलिए जमा किए गए धन को बदलने गए वृद्धों को भी वापस जाना पड़ा. बैंकों ने बुजुर्गों और विकलांगों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं करने के कारण उन्हें भी नोट बदलने के लिए कतार में खड़ा होना पड़ा.
मैंने कुछ दिन पहले बैंक से पैसे निकाले थे, क्योंकि मुझे एक शादी समारोह में जाना था. 2 हजार रु. के नोट की जिद थी. लेकिन मैं आज बैंक आया क्योंकि मैंने शादी में जाने से पहले नोट बदलने का फैसला किया था. लेकिन, यहां आने के बाद केवाईसी और आधार की शर्त के चलते मुझे वापस जाना पड़ रहा है.
मधुकर राव, सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी