विधायक अग्रवाल के उस टिका टिप्पणी का प्रफुल अग्रवाल ने दिया जवाब
गोंदिया. विधायक विनोद अग्रवाल द्वारा पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल के उपर किए गए टिका टिप्पणी का प्रफुल अग्रवाल ने दिया जवाब. उन्होंने कहा कि भैय्या के स्वास्थ्य की इतनी ही चिंता है तो हो जाय फिर एक बार 5 किमी. की पदयात्रा भैय्या के साथ ही. लोकसभा का चुनाव शुरू है, पार्टी का प्रचार हो जाएगा और पदयात्रा की पदयात्रा हो जाएंगी. मालुम पड़ेगा किसकी रफ्तार कितनी है.
विधायक विनोद अग्रवाल ने एक सभा दौरान कहा कि बड़ी-बड़ी बाते तो अनेक लोग करते है. तभी तो उन्हें जनता ने घर पर बैठा दिया. लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है कि अब हमे जनता ने छुप रहने को कहा है. जब 27 साल तक यह मौका मिला जब कुछ नहीं किए और आज जब काम हो रहे है तो बड़े-बड़े पुल पेज के जाहिरात छाप कर लोगों को बताने की कोशिश करते है कि काम मैने किया है. अगर यह काम तुम्हारे कारण हुए है तो 27 साल में क्यों नहीं किए. आज अगर तुम्हारे चुनाव हारने के चार साल बाद कोई काम की शुरुआत होती है तो तुम कह रहे हो की मैने चार साल पहले ही उस काम को मंजूर कर दिया था. आज भी हमने जो काम किया है उसके फलक तीन-छह माह पहले ही लग चुके है. फिर भी हमारे भैय्या आज भी हार क्या होती है उससे उभर नहीं सके है. क्योंकि उन्हें भूमिपूजन करने का बड़ा शौक है. भैय्या को भूमिपूजन का इतना शौक है कि वह किसी को कुदल को हाथ भी नहीं लगाने देते और खुद ही कुदल मारते रहते है. चल नहीं सकते, खड़े नहीं रह सकते लेकिन कुदल मै ही मारूगा. भैय्या का काम चाहे 3 लाख रु. का क्यों ना हो लेकिन 10 हजार रु. का बेंडबाजा, 1000-2000 रु. के फटाके, 5-10 हजार रु. का मंडप लगता है. अब 3 लाख रु. के भूमिपूजन में ठेकेदार 50 हजार रु. खर्च करेंगा और भैय्या को 14-15 प्रश. कमिशन अलग से देगा तो काम क्या करेंगा. अब लोग बोलते है कि भैय्या ने भूमिपूजन किया लेकिन अब तक काम ही नहीं हुआ. अब उनको क्या पता भैय्या ने एक लाख रु. तो पहले ही खर्च कर दिए. वो आदमी बोलता है कि काम करूंगा तो लोग मुझे हसेंगे. मुझे लगता है कि वह बिना काम के ही पैसे निकाल डालते है या नहीं, यह मुझे आज तक पता नहीं चल पाया. इतना भूमिपूजन करने वाला मैने आज तक नहीं देखा.
जिस पर प्रफुल अग्रवाल ने कहा कि यह बात सच है कि 26 दिसंबर 2023 को गोपालदास अग्रवाल साहब की रिड की हड्डी का स्पाईन का सर्जिरी हुआ. उसके बाद ढेड़ दो महिना उनको बहुत दर्द था, बहुत तकलिफ में थे. लेकिन फिर भी हम सब के रोकने के बाद भी वह अपने विधानसभा मतदान संघ में कायम होते रहे. उन्होंने एक दिन भी अपने मतदार संघ को छोड़ा नहीं और जहां तक उनके स्वास्थ्य का विषय है, भैय्या ने गोंदिया जिले की राजनीति को अपने निचले स्तर पर ले जाने का प्रयास किया. आज तक एैसे टिका टिप्पणी हुई नहीं. लेकिन मै मानता हुं कि भैय्या ने अभी थोड़े दिन पहले ही अपने थुलथुले शरीर का इलाज करने के लिए, अपना वजन कम करने के लिए सर्जरी कराई. उस समय उनके बुद्धि का भी वजह थोड़ा कम हुआ, ऐसा मेरा व्यक्तिगत मत है. इसपर कोई ज्यादा टिका टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता नहीं है. लेकिन एक बात मै बताना चाहता हुं कि भैय्या के स्वास्थ्य की इतनी ही चिंता है तो हो जाय फिर एक बार 5 किमी. की पदयात्रा भैय्या के साथ ही. लोकसभा का चुनाव शुरू है, पार्टी का प्रचार हो जाएगा और पदयात्रा की पदयात्रा हो जाएंगी. मालुम पड़ेगा किसकी रफ्तार कितनी है.
हो जाय फिर 5 किमी पदत्राया एक बार भैय्या के साथ
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