Sunday, September 8, 2024
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खुले में शौचमुक्त गांव नदारद

स्वच्छता अभियान की उड़ रही धज्जियां
गोंदिया : खुले में शौचमुक्त गांव तथा स्वच्छ भारत अभियान चलाते समय ग्रामीण अंचल में विशेष सतर्कता बरतने के लिए कुछ वर्ष पूर्व गांव में गुड मार्निंग दस्ते तैयार किए गए थे. लेकिन अब यहीं दस्ते नदारद दिखाई दे रहे है. इस कारण खुले में शौच करने के लिए लोग जाते नजर आ रहे हैं.
केंद्र व राज्य सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत ग्रामीण व शहरी अंचल में स्वच्छता पर जोर दिया जा रहा है. खासकर ग्रामीण अंचल की और अधिक ध्यान केंद्रित कर हर घर शौचालय के तहत शौचालय निर्माण किए जा रहे है. लेकिन अनेक लोगों ने शौचालय का उपयोग न करते हुए सुबह की लोटा परेड अब भी जारी रखी है. खुले में शौच पर पाबंदी लगाने के लिए ग्रामपंचायत स्तर पर विशेष गुड मार्निंग दस्तों का निर्माण किया गया था. इन दस्तों द्वारा तड़के व सुबह के दौरान निरीक्षण कर खुले में शौच करने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई की जाती थी. इन दस्तों के कार्रवाई के चलते ग्रामीण क्षेत्र में खुले में शौच पर कुछ मात्रा में प्रतिबंध लग गया था. किंतु बाद में यह दस्ते ही गायब होने से ग्रामीण अंचल में खुले में शौच का सिलसिला अब भी जारी है.
सामग्री रखने के लिए शौचालय का उपयोग
ग्रामीण तथा शहरी अंचल में स्वच्छता का महत्व समझाने के लिए सरकार सभी स्तर से प्रयास कर रही है. लेकिन ग्रामीण अंचल के नागरिक इससे अनभिज्ञ दिखाई दे रहे है. सरकार के हर घर शौचालय इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण अंचल में शौचालय का निर्माण किया गया. नागरिक इस शौचालय के उपयोग की ओर अनदेखी करते नजर आ रहे है. अनेक लोगों ने घर के शौचालय को सामग्री रखने की जगह बना रहे है. जहां मवेशियों का चारा, लकड़ियां आदि सामग्री रखने के लिए उन शौचालयों का उपयोग कर रहे है.
गांव के शौचालय बन गए बाथरूम
विभिन्न आवास योजना के तहत शहरी तथा ग्रामीण अंचल के नागरिकों को घरकुल का लाभ दिया जाता है. घरकुल का लाभ देते समय नागरिकों को शौचालय का निर्माण करना आवश्यक होता है. ऐसे में अनेक लोगों ने घरकुल का लाभ लेकर शौचालयों का निर्माण किया. लेकिन उन शौचालयों का टालमटोल निर्माण कर शौचालय का उपयोग बाथरूम के रूप में उक्त इमारतों का उपयोग हो रहा है. लेकिन स्वच्छता के मुख्य उद्देश्य को इससे फटका लगा है. ग्रामीण अंचल में अनेक लोगो की खुले में शौच में जाने की आदत सी बन गई है. इस कारण वे शौचालयों की ओर अनदेखी करते नजर आ रहे है. अब यह सोच बदलने की जरूरत है.

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