गोंदिया. आठ साल बाद हो रहे गोंदिया नगर परिषद चुनाव ने राजनीतिक माहौल में खूब रंग भर दिया है. चुनाव की घोषणा होते ही सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने वार्ड में तैयारी शुरू कर दी थी. लेकिन, टिकट बंटवारे में देरी, कई उम्मीदवारों को टिकट न मिलना और इससे पैदा हुई नाराजगी ने चुनाव की तस्वीर को और उलझा दिया है.
चुनाव के लिए नामांकन भरने की तारीख 10 से 17 नवंबर तक थी. इस दौरान सभी प्रभागों के उम्मीदवारों ने जोश के साथ अपना नामांकन भरा. लेकिन, कई पार्टियों ने आखिरी मिनट तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की, जिससे उम्मीदवारों में बेचैनी थी. अनिश्चितता के इस माहौल में, कई लोगों ने सुरक्षा के तौर पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भी पर्चा भरा. नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 21 नवंबर है, और नगराध्यक्ष पद के किसी भी उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है. इसलिए, इस चुनाव में मुकाबला बहुत कड़ा होने वाला है. निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने से स्थानीय राजनीतिक में भी समीकरण बदलने की संभावना है. इस बीच, टिकट न मिलने से नाराज उम्मीदवारों की नाराजगी दूर करने के लिए सभी पार्टियों के बड़े नेता मैदान में उतर आए हैं. वोटों का बंटवारा रोकने और निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़त को रोकने के लिए पार्टी के अंदर मीटिंग, चर्चा और तालमेल बिठाने की कोशिशें हो रही हैं. स्थानीय स्तर पर यह भागदौड़ तिरोड़ा नगर परिषद के पूरे चुनाव प्रक्रिया को और रंगीन बना रही है. तिरोड़ा नगर परिषद के चुनाव हमेशा स्थानीय मुद्दों पर आधारित रहे हैं. ऐसा लगता है कि उम्मीदवार बुनियादी सुविधा, जलापूर्ति, सफाई, सड़क और प्रभाग में विकास के कामों की रफ्तार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देंगे. इन सबसे नाराजगी, टिकट से नाराजगी और निर्दलीय उम्मीदवारों की बढ़त के कारण वोटर किस तरफ रुख करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा. आखिर में, गोंदिया नगर परिषद चुनाव की आखिरी तस्वीर नामांकन वापस होने के बाद ही साफ होगी.
टिकट बंटवारे में नाराजगी, बगावत की संभावना, नामांकन वापस होने के बाद होंगी तस्वीर साफ
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