जिला परिषद पशुपालन विभाग का मामला
गोंदिया. सरकारी कर्मचारियों का तबादला करते समय सरकार ने इस संबंध में कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं. उन्हीं नियमों के तहत कर्मचारियों का तबादला किया जाता है. लेकिन नियमों के अनुरूप न होते हुए भी जिला परिषद के पशुपालन विभाग में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का अवैध स्थानांतरण किए जाने का मामला सामने आया है. मामला सामने आते ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने ”यह मैं नहीं” का रवैया अपना लिया है.
गोंदिया जिला परिषद के अंतर्गत पशुपालन विभाग का गोंदिया तहसील के असोली में श्रेणी-1 पशु चिकित्सालय है. उक्त अस्पताल पिछले तीन वर्षों से चिकित्सा पदाधिकारी के अभाव में चल रहा है. लेकिन यहां एकमात्र कर्मचारी नंदेश्वर नाम का एक परिचारक है जो इस अस्पताल में आने वाले किसानों की सेवा कर रहा है. लेकिन तीन माह पहले उसका अवैध तरीके से स्वास्थ्य विभाग में तबादला कर दिया गया. उक्त परिचारक पिछले अठारह वर्षों से पशुपालन विभाग में कार्यरत है. काटी के अस्पताल में सेवा के दौरान भैंस द्वारा गर्दन पर चोट लगने के कारण वह विकलांग हो गए हैं. फिर भी विभाग को सेवाएं देने का काम जारी है. इसके बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा महज द्वेषवश उसका अवैध स्थानांतरण स्वास्थ्य विभाग में कर दिया गया. नियमों के मुताबिक जिस विभाग में वह काम कर रहा है, उसी विभाग से दूसरी जगह ट्रांसफर करना जरूरी था, लेकिन ऐसा न करके उस बेचारे कर्मचारी का यूं ही स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया. उसने अपने साथ हुए अन्याय की शिकायत विभागीय आयुक्त व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से की. लेकिन अभी तक अवैध तबादले करने वाले विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इतना ही नहीं पिछले तीन माह से उसका वेतन भी बंद कर दिया गया है. जिससे उक्त परिचारक के परिवार पर आर्थिक संकट आ पड़ा है. उनके साथ हुए अन्याय को तुरंत दूर किया जाए और अवैध स्थानांतरण को रद्द किया जाए अन्यथा वह अपने परिवार के साथ अनशन पर बैठेंगा, ऐसी चेतावनी मनोहर नंदेश्वर ने एक पत्र के माध्यम से दी है.
हमें स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार सामान्य प्रशासन विभाग में निहित हैं. इसलिए इस स्थानांतरण से हमारा कोई लेना-देना नहीं है.
डा. कांतिलाल पटले, जिला पशुपालन अधिकारी, जिप गोंदिया