गोंदिया. राष्ट्रीय त्योहारों और अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अवसर पर नागरिकों और छात्रों द्वारा प्लास्टिक व कागज के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किया जाता है. कार्यक्रम के बाद इन राष्ट्रीय झंडों को मैदान और सड़कों पर रख दिया जाता है. यह राष्ट्रीय ध्वज का अपमान है. इससे बचने के लिए जिलाधीश चिन्मय गोतमारे ने अपील की है कि कागज और प्लास्टिक के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग नहीं करें.
1 जनवरी 2015 के सरकारी निर्णय के अनुसार उत्पादन, वितरण और विक्रेताओं के संबंधित विभाग को प्लास्टिक और कागज के राष्ट्रीय ध्वज के उत्पादन को रोकने के लिए कार्रवाई करें. साथ ही कार्यक्रम खत्म होने के बाद जगह-जगह पड़े राष्ट्रीय ध्वज को इकट्ठा कर उसका उचित तरीके से निस्तारण करने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है. क्षतिग्रस्त राष्ट्रीय झंडों को साफ-सुथरे ढंग से एक बैग या कपड़े में बांधे और सूर्योदय से पहले जिलाधीश या तहसील कार्यालय के किसी वरिष्ठ अधिकारी की देखरेख में किसी साफ जगह पर निपटान करें, ऐसा करते समय यह निर्देश दिए गए हैं कि सभी लोग खड़े रहें और जब तक यह पूरी तरह से जल न जाए तब तक कोई भी वहां से न हटे. जिलाधीश ने यह भी अनुरोध किया है कि जिले के सामाजिक संगठन, नागरिक व विद्यार्थी सड़क पर पड़े राष्ट्रीय ध्वज को एकत्रित करने में सहयोग करें तथा एकत्रित राष्ट्रीय ध्वज को जिलाधीश तथा तहसील कार्यालय को सौंप दें.
कागज-प्लास्टिक के राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग न करें : जिलाधीश गोतमारे
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