पिछले धान खरीदी घोटाले के दुष्परिणाम : सरकार की ओर से नए नियम-शर्तों की बाधा
गोंदिया. इस साल के खरीफ सीजन के लिए धान की कटाई और मलनी शुरू हो गई है. इसके बावजूद जिले में अब तक सरकारी धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो सके हैं. पिछले दिनों सरकारी धान खरीदी में हुई गड़बड़ियों और घोटालों के कारण सरकार ने उपअभिकर्ता संस्थाओं पर कई नियम, शर्तें भी लागू कर दिए हैं. महाराष्ट्र राज्य सहकारी महासंघ के मुख्य कार्यालय ने एक पत्र जारी कर कहा कि केवल इन नियमों का सख्ती से पालन करने वाली संस्थाओं को ही धान खरीदने की अनुमति दी जानी चाहिए. ऐसे में इस वर्ष धान खरीदी में सरकार के नियम व शर्तें आड़े आने की आशंका है और जिले में धान खरीदी करने वाली संस्थाओं में हड़कंप मच गया है.
पूर्व विदर्भ में गोंदिया के साथ-साथ भंडारा, गढ़चिरोली, चंद्रपुर और नागपुर जिले के कुछ हिस्सों में खरीफ और रबी के मौसम के दौरान बड़ी मात्रा में धान का उत्पादन होता है. केंद्र सरकार की गारंटी मूल्य योजना के तहत धान उत्पादक जिलों में जिला पणन अधिकारी कार्यालय और आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी विकास महामंडल के तहत उपअभिकर्ता संस्था किसानों से धान खरीदी करते हैं. हालांकि धान खरीद की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन पिछले दिनों धान खरीदी केंद्रों पर बड़ी संख्या में गड़बड़ियां उजागर हुई हैं. तो अब सरकार ने भी धान खरीदी को लेकर सख्त रुख अपना लिया है और धान खरीदने वाली संस्थाओं पर कुछ नियम, शर्तें लागू कर दिए हैं. अब से इन नियमों का कड़ाई से पालन करने वाली संस्थाओं को ही सरकारी गारंटी योजना के तहत धान खरीदी की मंजूरी दी जाएंगी. इस संबंध में 13 अक्टूबर को जिला राजस्व अधिकारी विवेक इंगले द्वारा संबंधित संस्थानों के अध्यक्ष, व्यवस्थापक को एक पत्र भी जारी किया गया है.
ये हैं नियम और शर्तें
यदि संस्था काली सूची में नहीं है तथा संस्था बी श्रेणी सदस्य संस्था के विगत 3 वर्षों के वित्तीय टर्नओवर के अनुसार शासकीय धान खरीदी करने में सक्षम है तो जिला उपनिबंधक सहकारी संस्था का प्रमाण पत्र व विगत 3 वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट का कम से कम बी श्रेणी की होना अनिवार्य होगा. संस्था के पास धान की कटौती या अन्य कोई वसूली राशि नहीं होनी चाहिए, पिछले सत्र में धान खरीदी का संचालन संतोषजनक होना चाहिए, जो संस्थाएं अंतर्गत हैं कानूनी कार्रवाई और आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और मिलिंग के लिए धान उठाने से इनकार कर रहे हैं या मिलिंग कार्य में बाधा डाल रहे हैं, वह धान नहीं खरीद पाएंगे. प्रति केंद्र 20 लाख रु. नकद जमा करना अनिवार्य होगा, जिस पर ब्याज देय होगा. बी श्रेणी के संस्थान के लिए 1 करोड़ की बैंक गारंटी, एफओआर, टीडीआर की राशि पणन महासंघ के पास जमा करना अनिवार्य होगा, संस्थान के पास न्यूनतम 500 मे. टन क्षमता का स्वयं का या पट्टे के आधार पर एक सुव्यवस्थित गोदाम होना अनिवार्य है, संस्था के पास इंटरनेट सुविधा के साथ अद्यतन कंप्यूटर सिस्टम, प्रशिक्षित कर्मचारी और धान खरीद केंद्र पर आवश्यक सभी समान सुविधाएं होनी चाहिए.
खरीदी के संबंध में केंद्र सरकार, राज्य सरकार व भारतीय खाद्य महामंडल द्वारा निर्धारित व समय-समय पर संशोधित सूचना तथा निर्देश लागू रहेंगे, इन मापदण्डों को पूरा नहीं करने वाली संस्था का प्रस्ताव समन्वय समिति को प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा. साथ ही जब तक मानक पूरे नहीं होंगे प्रस्ताव मुख्यालय को नहीं भेजा जा सकेगा.
विवेक इंगले, जिला पणन अधिकारी, गोंदिया