केवल पांच परियोजनाएं लबालब : भारी बारिश की सख्त जरूरत
गोंदिया. इस साल बारिश की मार ने सभी की टेंशन बढ़ा दी है. यही कारण है कि बारिश अंतिम चरण में होने के बावजूद जिले की 32 मध्यम व लघु परियोजनाओं में से सिर्फ पांच में ही 100 प्रश. पानी भरा है. लेकिन अन्य परियोजनाओं में पानी नहीं है और उनमें से कई खाली पड़े हुए हैं. पिछले वर्ष यही परियोजना शत-प्रतिशत भर गई थी और उस पानी का आज तक उपयोग किया गया. ऐसे में भारी बारिश की सख्त जरूरत है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगला साल मुश्किल भरा होगा.
इस साल जून के महीने में बारिश ने कोई रहम नहीं दिखाया. परिणाम स्वरूप यह हुआ कि जून सूखा निकल गया और किसान अपनी खेती नहीं कर सके. जुलाई माह में अच्छी बारिश होने से कृषि कार्य शुरू हो गया और किसानों के चेहरों पर मुस्कान आ गई. यह कहना गलत नहीं होगा कि जुलाई माह में हुई बारिश से नदियों-नहरों और परियोजनाओं में पानी आ गया. लेकिन अगस्त महीने में थोड़ी बारिश के बाद बारिश गायब हो गई. नतीजा यह हुआ कि परियोजनाओं को पानी नहीं मिला और उनकी प्यास अब तक नहीं बुझी है. अब बारिश का मौसम अपने आखिरी चरण में है और 30 सितंबर तक लगातार भारी बारिश की जरूरत है. क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसमें कोई शक नहीं कि अगला साल परेशानी भरा होगा.
15 परियोजनाओं में 75 प्रतिशत जल संग्रहण
जिले में 9 मध्यम और 23 लघु परियोजनाएं हैं. इनमें से केवल कटंगी मध्यम परियोजना में शत-प्रतिशत जल भण्डारण है तथा चार लघु परियोजनाएं डोंगरगांव, मोगरा, बेवारटोला व भूराटोला में भी शत-प्रतिशत जल भण्डारण है. इसके अलावा तीन मध्यम परियोजनाएं बोदलकसा, चुलबंद, रेंगेपार और छह लघु परियोजनाएं आक्टीटोला, पिपरिया, राजोली, सडेपार, जुनेवानी और उमरझरी में 75 प्रतिशत जल भंडारण है. बाकी परियोजनाओं में इससे कम स्टॉक है, जो जिले में पानी की जरूरत को दर्शाता है.
पिछले साल थे लबालब
पिछले साल वरुण देव जिले पर खूब मेहरबान रहे और इसी कारण जमकर बारिश हुई. इसके चलते पिछले वर्ष जिले की मुख्य परियोजनाओं के साथ ही मध्यम व लघु परियोजनाओं में पानी भर गया था. लेकिन इस साल उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं हुई है. नतीजा यह है कि परियोजनाओं में पानी का भंडारण नहीं हो पा रहा है. पिछले वर्ष के पानी से इस वर्ष जिले में रबी की फसल पक गई है. अब शेष अवधि में बारिश ने साथ दिया तो ही इन परियोजनाओं की प्यास बुझेगी और अगले वर्ष के लिए भी सुविधा होगी.
इन परियोजनाओं की दयनीय स्थिति
जिले की कुछ लघु परियोजनाओं में पानी का भंडारण नाम मात्र का है और उनकी हालत बेहद खराब है. इसमें गुमडोह परियोजना में 34.53 प्रश., कालीमाटी परियोजना में 20.84 प्रश., रेहाड़ी परियोजना में 37.99 प्रश., सोनेगांव परियोजना में 28.67 प्रश., सालेगांव परियोजना में 28.35 प्रश. और ओवारा परियोजना में केवल 49.57 प्रश. ही जल भंडारण है.