Friday, July 26, 2024
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मां के बिना अब कैसे रहेगा मंकी बेबी? रुला देगी यह दर्द भरी दास्तां

नागपुर : समृद्धि एक्सप्रेस हाई-वे पर फिर एक बार बेजुबान हादसे का शिकार हो गया। लेकिन इस बार दुर्घटना आपकी आंखों में आंसू ला देगी। जहां एक छोटे से मासूम बंदर के बच्चे ने अपनी मां को हमेशा के लिए खो दिया। हाई वे पर हुए एक्सीडेंट के बीच मादा बंदर की जोरदार चोट लगने के कारण मौत हो गई। जबकि मासूम मंकी बेबी साफ-साफ बच गया। वो तो गनीमत रही कि समय पर पहुंचे एंबुलेंस के ड्राइवर ने बंदर के बच्चे को बचा लिया। समृद्धि एक्सप्रेस वे जबसे शुरू हुआ है। इस हाई-वे पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इसको लेकर चिंता जताते हुए मंत्रालय की ओर से एंट्री गेट्स पर ड्राइवर्स की काउंसलिंग कराए जाने का प्रावधान किया गया है।

ओडिशा से लौट रहा था एंबुलेंस ड्राइवर
नासिक के रहने वाला एम्बुलेंस ड्राइवर किरण अशोक सूर्यवंशी ओडिशा से लौट रहे थे। इस दौरान उनके साथ दोस्त विक्की पठान भी था। जहां एक्सप्रेसवे पर वर्धा टोल चेक-पोस्ट के पास एक भावुक कर देने वाला वाकया देखने को मिला। दोनों ने देखा कि एक बंदर का बच्चा अपनी मां को जगाने की कोशिश कर रहा था। दरअसल बंदर के बच्चे की मां सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकर बेबस पड़ हुई थी।

घायल पड़ी मां को उठा रहा था बेबी मंकी
एंबुलेंस ड्राइवर ने कहा कि ‘ओडिशा के लिए 1,450 किमी ड्राइव कर नासिक लौटकर थके होने के चलते मुझे नींद आ रही थी। मैं गाड़ी को एक टोल बूथ के पास रोककर सो गया। सुबह 7 बजे के आसपास उठने पर देखा तो उल्टी दिशा से एक तेज रफ्तार जा रही कार ने सड़क पार कर रहे बंदर को जोरदार टक्कर मार दी।’ सूर्यवंशी ने कहा, ‘हम दूसरी तरफ गए और पाया कि बच्चा अपनी मां के सीने से चिपककर उसे जगाने की कोशिश कर रहा था। वहीं बेसुध पड़ी बंदर की मां ने बच्चे को धक्का दिया, शायद यह बताने के लिए कि वह अब जिंदा नहीं बचेगी।’

बंदर के इलाज के लिए भागे एंबुलेंस ड्राइवर
सूर्यवंशी के मुताबिक घायल बंदर की हालत गंभीर हो रही थी। जिसको देखते हुए बिना समय गंवाए उसने बच्चे को उठा लिया और बंदर को एम्बुलेंस में रखे एक बोरे में डाल दिया। ड्राइवर ने बताया कि ‘हम लोगों ने टोल बूथ से वन कर्मियों के नंबर लिए और उन्हें फोन किया। फिर हम लोग अगले टोल बूथ पर पहुंचे तो वनकर्मियों ने बंदर और बच्चे को पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) के जरिए संचालित ‘करुणाश्रम’ पिपरी (मेघे) में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया। जिसके बाद एंबुलेंस ड्राइवर सूर्यवंशी बंदर और उसके बच्चे को पीएफए केंद्र ले गए। जो कि टोल बूथ से 3-4 किलोमीटर की दूरी पर था।

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