Friday, July 26, 2024
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शिक्षकों के आंदोलन को दबाने मेस्मा लगाने का प्रयास : विधायक सुधाकर अडबाले

गोंदिया : शिक्षको को पेंशन देने की बजाए भविष्य में आनेवाली सरकार की चिंता क्यों की जा रही है। राज्य की शिंदे- फडणवीस सरकार सक्षम नहीं है। लेकिन सरकार की शुरुआती लाईन बदली है। केंद्रीय कर्मचारियों की तरह राज्य के कर्मचारियों को सुविधा देना चाहिए। सरकार शिक्षकों के आंदोलन को दबाने के लिए (जिवनावश्यक अधिनियम) मेस्मा लगाने की तैयारी कर रही है। जिससे भविष्य में कर्मचारी आंदोलन नहीं कर सकेंगे । ऐसा प्रतिपादन शिक्षक विधायक सुधाकर आडबाले ने विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ, विदर्भ ज्यू. कॉलेज टिचर्स असो.महाराष्ट्र राज्य पुरानी पेंशन संगठन व आरटीई के संयुक्त तत्वावधान में एमआयडीसी परिसर स्थित जंगल रिट्रीट रिसोर्ट में आयोजित भव्य सहकार समारोह मे मार्गदर्शन करते हुए किया।
कार्यकम की अध्यक्षता पूर्व शिक्षणाधिकारी सुनील मांढरे ने की। प्रमुख अतिथी के रूप में पूर्व विधायक विश्वनाथ डायगव्हाने, विदर्भ ज्यू. कॉलेज टिचर्स असो. के अशोक गव्हानकर, अनु. आश्रमशाला कर्मचारी संगठन भोजराज फुंडे, आरटीआई फाउंडेशन के अध्यक्ष आर.डी.कटरे, विज्युक्टा के मार्गदर्शक प्रा.शशि निवास मिश्रा, प्रोग्रेसिव कान्व्हेंट के संस्थापक निरज कटकवार, श्री समर्थ न्यू एज्युकेशन सोसायटी के सचिव समीश बैस, पं.स.सभापति मुनेश रहांगडाले, आमगाव पं.स.की बीओ सविता पुराम व सोनकुसरे, आदि उपस्थित थे.
विधायक अडबाले ने आगे कहा कि भाजपा की झुठ बोलने की निती है. भाजप कह रही है कि पेंशन नहीं दे सकते। जबकि देश के ५ राज्य पुरानी पेंशन दे रहे है। सरकार को सकल उत्पादन बढ़ाना चाहिए। कर्मचारियों पर ३४ प्रतिशत खर्च हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वे शिक्षकों की समस्याओं को लेकर उन्हे सतत हल करने का प्रयास करेंगे। पूर्व विधायक डायगव्हाने ने अपने संबोधन में कहा कि उनका कार्यकाल विशेष कार्यकाल रहा। जिसमे शिक्षकों के हित मे अनेक निर्णय लिए गए। लेकिन आज शिक्षकों को पेंशन देने के लिए सरकार हमसे मार्गदर्शन मांग रही है।
प्रस्तावना सचिव महेंद्र बड़े ने रखी। संचालन व आभार प्रदर्शन रंजीत राठौड ने किया।
इस अवसर पर खुशाल कटरे, सुनील आवले, वाय.टी.कटरे, रतन वासनिक, गुलाम दस्तगीर, प्रदीप राठौड, असीम बनर्जी, राजा कढव, राजेंद्र झाडे, सुशिल गुणेरिया, जी.टी.भोयर, समता नंदागवली, पवन कटरे, गितेश खांडेकर, अशोक नागपुरे, राजेंद्र बोरकर, समीर तिडके, सहित बड़ी संख्या मे विभिन्न शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी कर्मचारी आदि उपस्थित थे.

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