बूंद-बूंद के लिए तरस रहे नागरिक
गोंदिया : आमगांव शहर के अलग-अलग हिस्सों को बनगांव प्रादेशिक ग्रामीण जलापूर्ति योजना के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है. इस योजना का संचालन जिला परिषद का ग्रामीण जलापूर्ति विभाग करता है. जबकि टंकियों में पानी भरने के बाद वितरण की जिम्मेदारी नगर परिषद कर्मचारियों द्वारा निभाई जाती है. लेकिन प्रशासन की लापरवाही से शहर में सभी स्थानों पर पिछले 6 माह से दो दिन में एक बार जलापूर्ति की जा रही है.
नागरिकों ने इस समस्या से भी समझौता कर लिया. लेकिन यदि दो दिन में एक बार जलापूर्ति की जा रही है तो वह पर्याप्त की जानी चाहिए. ताकि नागरिकों को पेयजल के लिए यहां वहां भटकना न पड़े. लेकिन नगर परिषद में जनप्रतिनिधि पिछले 8 वर्षों से नहीं होने के कारण प्रशासक राज चल रहा है और सभी कर्मचारी अपनी मनमर्जी के मालिक बनकर काम कर रहे है. तहसीलदार को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है. लेकिन उनके पास तहसील के ही प्रशासकीय कामों का इतना बोझ रहता है कि वह नगर परिषद की ओर ध्यान नहीं दे पाते. परिणामस्वरूप कर्मचारी निरंकुश कार्य कर रहे हैं. जलापूर्ति का ही यदि उदाहरण लिया जाए तो स्थिति यह है कि बनगांव, बिरसी, कुंभारटोली आदि के साथ ही रिसामा के कुछ हिस्सों में जलापूर्ति इतनी की जाती है कि उपभोक्ताओं को पेयजल की आवश्यकता पूरी होने के बाद भी अनेक कार्यों के लिए पानी भरपूर उपलब्ध हो जाता है. वहीं दूसरी ओर रिसामा क्षेत्र के ही आंबेडकर चौक परिसर में आमगांव गांधी चौक जानेवाले मार्ग पर रहने वाले उपभोक्ताओं को 20 से 30 मिनिट तक ही जलापूर्ति वह भी दो दिन में एक बार की जाती है. ऊंचा भाग होने से यहां पानी का फोर्स भी कम रहता है. जिससे इस क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पेयजल के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता. इस संबंध में कई बार शिकायतें की गई है. इसके बावजूद कोई परिणाम नहीं मिलता. एक ओर जहां कुछ हिस्सों में जरूरत से अधिक जलापूर्ति होने से नागरिक पानी का दूसरे कार्यो के लिए भी उपयोग कर रहे हैं, वहीं आंबेडकर चौक परिसर के उपभोक्ता एक-एक बाल्टी पानी के लिए भी तरस रहे हैं. इससे दिनोंदिन क्षेत्र के नागरिकों में नगर परिषद प्रशासन के प्रति असंतोष बढ़ रहा है. कर्मचारियों से इस संबंध में पूछताछ करने पर वे टालमटोल का जवाब देते हैं. ऐसे में कभी भी नागरिकों में बढ़ रहा यह असंतोष आंदोलन का रूप ले सकता है. स्थानीय नागरिकों ने नप प्रशासन से सभी क्षेत्रों में समान रूप से जलापूर्ति किए जाने की मांग की है.
6 माह से दो दिन में एक बाल जलापूर्ति
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