Thursday, October 10, 2024
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जिले की 114 स्कूल बसों के पास फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं

विद्यार्थियों की जान से खिलवाड़
गोंदिया. जिले के सभी स्कूल जून माह से शुरू हो चुके है. अनेक विद्यार्थियों को स्कूलों में ले जाने और लाने के लिए स्कूल बसों का उपयोग किया जाता है. लेकिन वह बसें सही में फिट है या नहीं, इसकी जांच करना जरूरी है. क्योंकि शहर व ग्रामीण क्षेत्र की लगभग 114 स्कूल बसों के पास फिटनेस प्रमाणपत्र ही नहीं होने की जानकारी सामने आई है. जिससे पाल्यों को लेकर पालकों को सतर्क रहने की जरूरत हैं.
हादसा या तकनीकी खराबी टालकर विद्यार्थियों की स्कूल यात्रा सुरक्षित होने के लिए स्कूल बस का फिटनेस प्रमाणपत्र होना बहुतही जरूरी है. जिले में सभी स्कूलों की शुरुआत जून माह में हो गई है. इनमें से 45 प्रश. विद्यार्थी स्कूल बस, 30 प्रश. विद्यार्थी स्कूल वैन व 10 प्रश. विद्यार्थी ऑटो, रिक्क्षा से स्कूल जाते हैं. जिससे विद्यार्थियों के यातायात को बतौर संवेदनशील दर्ज किया गया है. इतना ही नहीं विद्यार्थियों के परिवहन को लेकर नियमावली भी हैं. लेकिन अनेक वाहन चालक इन नियामों की धज्जियां उड़ाते हैं. जिले में करीब 477 स्कूल वाहन दर्ज है. जब स्कूल बसें सक्षमता प्रमाणपत्र के लिए आती हैं तो उनका निरीक्षण किया जाता है. स्कूल बसों की भी सड़क पर औचक जांच की जाती है. स्कूल बसों के नियमों का उल्लंघन करते पाए जाने पर चालकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है. सहायक उपक्षेत्रीय परिवहन अधिकारी पाटिल ने बताया कि जून व जुलाई माह में 114 स्कूल बसों के खिलाफ फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं होने पर कार्रवाई कर 88 हजार 500 रु. जुर्माना वसूला गया.

बस मालिक व स्कूल संचालक उदासीन
स्कूल बस व स्कूल वैन के कलर से लेकर आसन क्षमता व गति की सीमा निर्धारित कर दी गई है. न्यायालय के आदेश व परिवहन विभाग के निर्देश के तहत शालाओं में विद्यार्थियों के यातायात करने वाले वाहनों की उपप्रादेशिक परिवहन कार्यालय द्वारा स्कूल बस व स्कूल वैन की जांच कर हर वर्ष करना अनिवार्य है. लेकिन मालिक व स्कूल संचालक भी गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं.

फिटनेस प्रमाणपत्र जरूरी
स्कूल बसों को वर्ष में एक बार फिटनेस प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य है, वाहनों की स्थिति, ब्रेक, लाइट्स, लाइसेंस, चालक वाहन चलाने के लिए सक्षम है क्या, वाहन मालिक व चालक के खिलाफ कोई मामला दर्ज तो नहीं, इसके अलावा वाहन मालिक के कागजात आदि की जांच की जाति है. इस सबके बाद ही आरटीओ के माध्यम से फिटनेस प्रमाणपत्र दिया जाता है, इसे निर्धारित अवधि के बीच हासिल करना आवश्यक है.

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