अब तक नहीं शुरू हुए खरीदी केंद्र
गोंदिया. धान खरीदी केंद्र संचालकों पर लगाए गए कड़े नियम व शर्तों को लेकर मंत्रालय में 2 नवंबर को बैठक का आयोजन किया गया था. जिसमें बताया गया है कि संस्थाओं के लिए लगाए गए कुछ नए नियमों में शिथिलता बरती जा रही है. इस तरह का आश्वासन खरीदी केंद्र संचालकों को दिया गया. लेकिन जिले के धान खरीदी केंद्र संचालकों ने निर्णय लिया है कि आश्वासन के बजाए परिपत्रक जारी करो. परिपत्रक निकालने के बाद ही धान की खरीदी की जाएंगी.
इस मांग पर अड़े होने से किसानों का धान खरीदा नहीं जा रहा है. जबकि दीपावली को मात्र 3 दिन शेष बचे है और ऐसे में किसानों का धान खरीदा नहीं गया तो किसान अल्प दाम में अपना कीमती धान दलालों को बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे. उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा शासकीय धान खरीदी केंद्र संचालकों के लिए कड़े नियम व शर्त लागू की गई है. जिसमें प्रमुख शर्त यह रखी गई है कि केंद्र संचालकों को 1 करोड़ रु. की बैंक गारंटी व 20 लाख रु. एफडीआर जमा करने की है. यही एक शर्त है कि केंद्र संचालको के लिए मुसीबत बन गई है. इसी प्रकार गोदाम किराया व धान की घट में बढ़ोतरी नहीं की गई. इस तरह के नियम व शर्तों के विरोध में जिले के धान खरीदी केंद्र संचालको ने मंजूरी मिलने के बाद भी खरीदी प्रक्रिया शुरू नहीं की है. जिसे गंभीरता से लेते हुए जिले के जनप्रतिनिधियों ने राज्य के अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल के साथ बैठक का आयोजन किया गया था. जिसमें कहा गया है कि 1 करोड़ की बैंक गारंटी में शिथिल करने, एफडीआर की राशि 20 लाख रु. से घटाकर 10 लाख रु. करने, गोदामों से तत्काल धान उठाने व कमिशन बढ़ाने के संबंध में सकारात्मक चर्चा कर केंद्र संचालको को आश्वासन दिया गया. लेकिन इस संदर्भ में शासन ने कोई पत्रक निकाला नहीं. जिस कारण जिले के धान खरीदी केंद्र संचालकों ने खरीदी की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया है. उनकी मांग है कि जब तक परिपत्रक जारी नहीं किया जाता तब तक धान की खरीदी प्रक्रिया को शुरू नहीं किया जाएगा.
गोदामों में धान संग्रहण शुरू
जानकारी दी गई है कि किसानों ने धान फसल काटकर बोरों में धान भरकर रखा है, लेकिन खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने के कारण खेतो में ही धान के बोरों का ढेर लगा हुआ है. धान खराब होने के डर से अनेक किसानों ने धान खरीदी केंद्रों के गोदामों में धान संग्रहित करना शुरू कर दिया है. केंद्र संचालको द्वारा जानकारी दी जा रही है कि इंसानियत के तौर पर किसानों का हित देखते हुए धान के बोरे गोदामों में उनके मर्जी से रखे जा रहा हैं. जिसकी जिम्मेदारी स्वयं किसान उठा रहे हैं.