पोषण पुनर्वास केंद्र का कार्य
गोंदिया : जिला आदिवासी और नक्सल प्रभावित है, इसलिए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के आहार और स्वास्थ्य की उपेक्षा की जाती है. जब एक महिला गर्भवती होती है, अगर उसे ठिक से आहार नहीं मिलता है, तो पेट में पल रहा बच्चा कुपोषित हो जाता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और महिला व बाल कल्याण विभाग को उन बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए भरसक प्रयास करने पड़ते हैं. यहां के बीजेडब्ल्यु अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) ने वर्ष 2022-23 में कुपोषित 153 बच्चों को ठीक किया है. भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत और बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. लेकिन कोरोना काल में माता-पिता द्वारा अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने से कुपोषण की दर में कमी आई है. शहरी क्षेत्रों में बच्चे मोटे हो गए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण कम हो गया है. इसका एकमात्र कारण यह है कि माता-पिता ने कोरोना काल में अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दिया है. वहीं जिले में गंभीर रूप के 158 बच्चों को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2022-23 में बीजेडब्ल्यू अस्पताल में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया गया था. इनमें से 153 बच्चे सामान्य श्रेणी में आए हैं.
यह केंद्र कुपोषणमुक्त के लिए
जिले में दो सीसीसी केंद्र, ग्रामीण अस्पताल अर्जुनी मोरगांव और उपजिला अस्पताल तिरोड़ा कुपोषण मिटाने के लिए अच्छा प्रयास कर रहे हैं.
महिलाओं में एनीमिया; बच्चों को कुपोषण
गर्भावस्था के दौरान भी कई महिलाओं को चावल और सब्जी के अलावा और कोई खाना नहीं मिलता है. इसलिए जिले की 30 प्रश. महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल के अभाव में माता व बच्चे को खतरा रहता है. बीजीडब्ल्यु अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली अधिकांश महिलाओं में हीमोग्लोबिन 6 होता है. इसके लिए खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. गर्भावस्था के दौरान महिला को संतुलित आहार नहीं मिलने के कारण बच्चा कुपोषित पैदा होता है. परिणामस्वरूप उन बच्चों को कैसे बचाया जाए, यह सवाल डाक्टर के सामने खड़ा हो जाता है.